लोक-भाषा -संस्कृति हमरी
मुल्क हिवांला की च शान
बिन भाषा और संस्कृति का
बतावा क्या च हमरी पछ्याँण ?
ढोल सागर की संस्कृति जक्ख
खतेंदु छाई जागर गीतौं कु दुर्लभ ज्ञान
लोक-भाषा बिन वक्ख बतावा
भौल कन्नू कैकी मुख दिखांण ?
मांगल गीतौं की जक्ख बोग्दी गंगा
लोक-नृत्य करद हिमालय कु सिंगार
अजर अमर संस्कृति सांखियुं की
आवा करला यून्की शौक- संभाल
बीरौं भड़ौं का लग्दिन पंवाडा जक्ख
धरुं धरुं मा हुन्द उन्कू यशगान
स्वर्ग से भी सुन्दर च धरती हमरी
छोडिक इन्थेय हमल निर्भग्यो
जाण ता आखिर कक्ख जाण ?
भाषा बचोंला संस्कृति बचोंला
बचोंला साखियुं पुरणी पछ्याँण
भाषा छोडिकी संस्कृति छोडिकी
क्या लिजाण और कक्ख लिजाण ?
मनखी रे कैरी सदनी
माँ- भाषा और संस्कृति कु सम्मान
गेड मारिकी धैरी लै - यूँ बिन
नी च तेरी कुई पछ्याँण
नी च तेरी कुई पछ्याँण
रचनाकर :गीतेश सिंह नेगी ,सिंगापूर प्रवास से,सर्वाधिकार सुरक्षित
स्रोत : मेरे अप्रकाशित गढ़वाली काव्य संग्रह " घुर घुगुती घुर " से
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