हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Saturday, June 14, 2014

गढ़वाली हास्य व्यंग लेख : भगीरथ

                               भगीरथ                      

     (हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या - गीतेश सिंह नेगी ,Mumbai)



धरती बल ७१ % पाणिळ ढकीं च ,समोदर बी ९६.५ % खारु पाणि लेकि उछ्ल्णु च ,जाणकार लोग बुल्दीन बल धरती प्याट कुल १.७ % पाणि सम्युं च ,अब सुणा असल बात कुल २.५ % पाणि ही साफ़ पाणि च अर ये मदेै ०.३ % से बी कम पाणि गाड -गदेरौं अर नयारौं अर नदियों कु पाणि च ? मतलब समझणा छौ की ना
मतलब हम फर पाणि कु भारी संकट च
आज सुबेर लेकि ब्वाडा पाणि का यूँ आँकड़ों लेकि गंगजाणु छाई ,वूंन्की मुखडी फर इन्न झपाक प्वडीं  छाई जन्कि अब्बि  पाणि फर विश्व युद्ध हूँण वल व्हा,सोच विचार अर चिंतन कि यीं हालत मा ब्वाडै दशा दिल्ली जल बोर्डक प्रवक्ता  या उत्तर प्रदेशक बिजली वितरण अधिकारीयूँ सी लगणी छाई ,वूंन्की मुखडी कु पाणि सुख्युं छाई अर वूंन्का विचारौं  मा " पाणि बचावा -जीबन बचावा " कु दर्शनशास्त्र छुलुक-छुलुक कैरिक छ्ल्कणु छाई |

ब्वाडै पाणि चिंतन मा तर्र-बर्र हुयीं छ्वीं सुणिक हमर बी बरमून्ड ख्ज्याँण बैठी ग्याई ,हम बी सरया दिन पाणि  कि गाणी करण मा मिस्याँ रौ ,पाणि  का पुरण खाता टटौलदा-टटौलदा हम कक्खा कक्ख पौचीं ग्यो,हर्चिं- बिस्ग्यीं सरस्वती फर वैचारिक अस्धरा बुगाणा बाद भारतै सभ्यता अर संस्कृति विकास मा गाड -गदेरौं अर नदियों कि भूमिका फर स्वच्द-स्वच्द हम गंगा फर इन्न चिबट ग्यौ जन्न कै आदिम फर भूत-मसाण चिबट जान्द ,हमल सुण भगीरथ जी गंगा थेय धरती मा अप्डा पित्र तरौणा कु लीं ,वूंन्का पित्र तैरा छीं कि ना या बात हम ता नी जण्दा पर हाँ वेक  बाद गंगा जी मा सरया दुनियाौ पित्र तरौणा रिवाजै शुरुवात जरूर व्हेय ग्याई अर लोगौं खुण अप्डा पाप धुणाकि ले देकी  गंगा ही एक जग्गाह रे ग्याई ,लोगौं पाप इत्गा बढ़ी ग्यीं कि आज पाप धुन्द धुन्द गंगा अफ्फु मैली व्हेय ग्याई ,कैका  पित्र तैरा व्होला भाँ ना पर गंगा जीक छातीम बडा बडा डाम धरण व्ला रूप्पीयौं मा जरूर तैरी ग्यीं |

आज हर कुई गंगा जीक पैथिर प्वडयूं च अगर देखे जाव ता हर कुई बुग्दी गंगा मा अप्डा मैला हत्थ धूणा कोशिश कन्नु च अब इन्मा गँगा जील गंदलू त हूँणु ही च |

उन्न ता साखियुं  भटेय गंगा जी फर भारतै सभ्यता अर संस्कृति थेय गर्व रै पर यीं बात कु अन्ताज़ हम थेय आज इत्गा देर से किल्लैय हूँणु च कि गंगा मोरणी च सुखणी च जब्कि गंगा जीक छातीम डाम धरण व्ला बी हम ही छौ ,गंगा मा कीच -गिजार से लेकि अप्डू "सब्बि धाणी " बुगाण व्ला बी हम ही छौ अर गंगा थेय सुरंगों मा घालिक " गंगा बचावो अभियान "  चलाण व्ला बी हम ही छौ ,येका बाद बी हम आज बी गंगा थेय एक व्यौपारी  नज़र से ही द्याखणा छौ ,गंगा कु नफ्फा नुकसान हम आज बी किलोवाट अर मेगावाट से ही कन्ना छौ ,असल मा गंगा हमरि वीं संस्कृति कि जलमदात्री च जैन्की हम अजर अमर सोचिक कुई कदर नी कन्ना छौ बिलकुल उन्नी जन्न कौरवौंळ भीष्म पितामाह कि "इच्छा मृत्यु " बात सोचिक वूंन्की कब्बि कदर नी कैरी ,नतीजा क्या व्हेय बताणा जरुरत नी च |

सोच विचार का कीड़ा दिमाग मा कुलबुलाणा ही छाई कि वूंन्ल ब्वाल -अज्जी तुम थेय ले क्या फटीं च ? तुम ही ता व्हेला भारी भगीरथ जन्न भटेय ? एक गंगा सुखली ता तुम्हरू जी ले क्या जालू ? जन्न् दुनिया अप्डा पित्र तैराली तुम बी तैरा लियाँ ,तुम बी रैन्दो सदनी सुद्दी खाली बरमून्ड तचाणा ,अच्छा इन्न बतावा दी गंगा -जमना -सरस्वती सब्बि कैकी ?

मिल ब्वाल -पहाड़ै मतलब हमरी

ता बल तब्बी म्वन्ना छौ तुम बिगर पाणि का साखियुं भटेय ? तब्बी लग्णा छीं कांडा यूँ पुग्डों फर जक्ख बरसूँ भटेय पाणि ल्याण वल्लु रज्जा भगीरथ अज्जी तक पैदा नी व्हेय ,उल्टा गंगा जीक छातीम डाम खड़ा कैरिक डूबा याळ यूँन्ल अच्छी तरह से हम्थेय ,मौत कब अर कन्ना भटेय कै रूप मा आलि हम नी जणदा ,हमरी हालत ता बल इन्न हूयीं च कि " ना थूक सक्दो ना घूट सक्दो " ,सब्बि अप्डी अप्डी स्वचणा छीं,कुई धर्म कि बात कन्नु कुई विकासै बात कन्नु पर भै जरा हमरि बी ता स्वचा कि हम फर कन्न् भारी बितणी व्होलि ,सी घिर्याँ छौ हम चौ तरीफ पाणि मा फिर बी हमर जोग सुखु ही लिख्युं च ,पैली यून्ल टीरी डुबाई अब उत्तरकाशी -श्रीनगर डुबौण अर एक दिन यूँन्ल सरया मुल्क नी डूबै ता बोल्याँ ,

हे धारी देवी ,हे नरसिंह ,हे नागरज्जा कब हूँण तुमुल दैणु

वूंन्की बात हमुल इन्नी अणसुणी कार जन्न " जल जंगल अर जमीन " कि बात सरकार साखियुं भटेय अणसुणी कन्नी च ,खैर वूंन्का कलकला रस व्ला तर्कों से घैल व्हेकि ब्यखुंन्दा हम बी चौके कच्छडी मा पौन्छी ग्यो हालाँकि हमर पौन्छण से पैल्ली पाणि फर ब्वाडाळ खूब वैचारिक छांछ छोल याळ छाई ,सूणदरा ब्वाडा थेय इन्न सुणणा छाई जन्न ब्वाडा भागपत कैरिक वूंन्का पित्र अब्बी तैराण वल्लु व्हा ?
ब्वाडा फर इत्न दा रहीमदासै झसाग अयीं छाई अर ब्वाडा "रहिमन पाणि राखिये बिन पाणि सब सून " कि सन्दर्भ दगडी व्याख्या करण फर तुल्याँ छाई तबरी हमल ब्वाडा बीच मा ही घच्कै दयाई

ब्वाडा पाणि ता गौं मा आणु ही च वा बात अलग च कि ज़रा हम्थेय रौळ भटेय सैरिक ल्याण प्वडणु च ,बग्त आण फर योजना आलि ता पाणि बी आ जालू गौं मा 

हमर इत्गा ब्वल्द ही ब्वाडा उतडै ग्याई ,बल बेट्टा बग्तै बात ता ठीक च पर ज़रा कु बग्तै बी स्वाचा धौं ,अगर मैल गौं करूँळ पाणि मत्थी ही रोक याली ता तुमुल क्या कन्न ? बतावा धौं ज़रा 

मैल गौं व्ला बी डाम बणाणा छीं क्या ?
अरे डाम नी बी बणाणा छीं पर बग्त कुबग्त पाणि ता तोड़ ही दिणा छीं ना ,वूंन्का पुंगडा-स्यारौं मा बी पाणि-पाणि अर हमर यक्ख पाणि पीणा कि बी रोज रोज आफत ?
त क्या व्हालू ?
कन्न् क्या व्हालू ?तपस्या करण प्वाडली ,कैथेय ता भगीरथ बणण ही प्वाडलू ना अब
मतलब ?
देखा भै मैल गौं कि आबादी कम च अर हमरी भोत ,मतलब हमरा भोट ज्यादा मतलब अब्बा दौ चुनौ मा  प्रधान हमरू ,अर प्रधान हमरू मतलब योजना हमरि मतलब घर गौं मा पाणि ही पाणि

सब्युंळ गंगा रूपी पाणि थेय गौं मा ल्याणा वास्ता एक सुर मा ब्वाडा थेय "भगीरथ " कु अवतार सोचिक अपडा अपडा पित्र तरौण सुपिना द्यखिं ,

अब ब्वाडा से सब्युं थेय इन्नी आश जन्न् सगर का ६० हजार नौनौं थेय भगीरथ से आश छाई
गंगा ल्याण से भगीरथ का पित्र तैरद हमुल ता नी द्याखा पर पर गौं मा पाणि  बान ब्वाडा प्रधनी चुनौ जरूर तैर ग्याई ,गौं मा येक बाद योजना बी अैं ,ठेक्कदार बी अैं ,इंजिनियर बी अैं और ता और चुनौ बी कत्गे दौ आ ग्यीं पर ना गौं मा पाणि आई ना हमरा पित्र तैर साका  अर ना हमरा गौल उन्द पाणि तैर साकू  ब्वाडा जरोर प्रधनी -प्रमुखी का गदना तैरिक विधानसभा पहुँचणकि त्यरी मा लग्युं च अर हम छौ कि आज बी अप्डा भगीरथ थेय जग्वलणा छौ
स्वचणा छौ कि मिलला ता पुछला - भगीरथ जी तुम्हरा पित्र तर ग्यीं कि ना ?

Copyright@ Geetesh Singh Negi ,Mumbai  14/06/2014


*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं। 

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- महर गाँव निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; कोलागाड वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मल्ला सलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; पोखड़ा -थैलीसैण वाले द्वारा  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य ,अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य  श्रृंखला जारी ]

Sunday, June 8, 2014

गढ़वाली हास्य व्यंग लेख : जुगाड


                                


                                       जुगाड       

                             

                      (चबोड़्या -चखन्यौर्या - गीतेश सिंह नेगी ,मुम्बई )


परसी दफ्तर मा भारतै बौद्धिक सम्पदा फर बहस हूँणी छाई ,ये विषय फर सब्बि बुद्धिजीवी अप्डा -अप्डा  हिसाबळ बौद्धिक जुगाली करण फर लग्यां छाई ,बहस इत्गा जोरदार ढंग से चलणी छाई की बहुराष्ट्रीय कंपनी कु माहौल कब राष्ट्रीय विचारधारा तरफ पैट ग्याई पता नी लग्गू ,वे दिन  उन्न त ना छबीस जनवरी छाई ना पन्दरा अगस्त पर ऑफिस मा सब्बि भारतीय  विज्ञानिक राष्ट्रवाद अर राष्ट्र प्रेमौ रस मा इन्ना तरबर हूँयाँ  छाई जन्न चासणी मा जलेबी ,अर बग्त बग्त समाजवाद मा मुलायम  अर सेकुलरिज्म मा लल्लू  तर-बर् हुयां रैंदी |

"जब जीरो दिया मेरे भारत ने "से ज़ोरदार शुर्वात कन्ना बाद बुद्धिजीवीयूँळ आर्यभट्ट से लैकी ब्रह्मभट्ट तक्का छुईंयूँ का भट्ट भुज दीं ,वराहमिहिर थेय भारतीय ज्योतिष गौरव तर्पण दिणा बाद वूंल कुतुबुद्दीन अर इल्तुतमिस का पितृ पूजणा मा बी कुई कसर नी छ्वाडी ,अज्कालै प्लास्टिक सर्जरी अर शल्य चिकित्सा का जलमदाता "सुश्रुत " थेय विचारौंक  सादर सुमन चढाणा बाद वूंल चरेखा का  चरक कु इन्नु बखान करी की सुणिक चरेखा डांडा का लोग इन्ना उन्ना देखण बैठी ग्यीं ,बात तब और बढ़ी ग्याई जब माभारत-रामैण कु जिकर आई बल विश्वकर्मा , मै-दानव ,अश्विनी कुमार -नल नील से बडू कुई सल्ली क्या ही पैदा व्हालू ?
बल भैज्जी हनुमान जी मा इन्नी टेक्नोलॉजी छाई की वू हवा मा बथौं बणिक उड़ सक्दा छाई ? क्या छाई वा टेक्नोलॉजी  ?
अरे भुल्ला बल दुनिया मा विमान शास्त्र का जलम गुरु अर असल ज्ञाता हमरा ही गुरु छाई ?
बेट्टौं सूण नी तुमुल -माहर्षि भरद्वाजळ कत्गे साखियुं पैल्ली विमान सहिंता लेखि याळ छाई ? कुबेर अर रावणै पुष्पक विमान फर चर्चा कन्ना बाद सब्बियुंळ एक डौल मा राईट ब्रदर्स का पित्र पूजीं |
बल बेट्टौं  और त औरी दुनिया मा सबसे पैल्ली "बैलेस्टिक मिशेल " अर " एंटी बैलेस्टिक मिशेल "बी हमरा देश मा ही चली छाई !
 अच्छा  ?
दा बल सुण नी माभारत मा "ब्रह्मास्त्र " चला छाई ? अर अर्जुन ता वे थेय कंट्रोल बी करण जणदू छाई ?
अज्जी भैज्जी बल सूणयूँ ता इन्न बी च की शब्दभेदी बाण चल्दा छाई वे टैम फर बल ?
अरे भुल्ला बल राम-रावणा लड़ै की  जैड यू  शब्दभेदी  बाण ही ता छाई असल मा  ,येका बाद माभारत अर रामैण का एक एक नायक कु वैज्ञानिक विधि से इन्नु चरित्र चित्रण करे ग्याई की बेद्व्यास अर माऋषि बाल्मिकी की आत्मा बी सोच मा पोड ग्यै व्होलि |

खैर या ता व्हाई दफ़्तरै बात पर म्यार ख्याल से बात जक्ख तक जुगाडै च ता जुगाड ये मुल्कै हर मनखि  रग रग मा रल्यूं मिस्युं चा अर ये  जुगाड रूपी बौद्धिक खज्यनू फर हम भारतवासियुं जलम सिद्ध अध्यकार च ,अर मी ता ब्वल्दु जू  जुगाड नी जणदू वू भारतवाशी व्हेय ही नी सक्दु ,बिगैर जुगाड  भारत अर बिगर भारत जुगाडै बार मा सोच्णु बी पाप समान च ,जुगाड एक इन्नु तीर च कि अगर ठीक जग्गाह फर लग्गी जा ता समझा "प्रोब्लम खतम "

जुगाड हर समस्या कु समाधान अर हर रोग कु रामबाण ईलाज बी च ,जुगाड साखियुं पुरणी कला कौंल च ,इतिहास गवाह च कि जुगाडै  जत्गा जरुरत मन्खियुं थेय च  उत्गा ही जरूरत देब्तौं थेय बी च | दुनिया मा कुई इन्नु आदिम नी च जैथेय कुई दुःख -समस्या ना व्हा अर दुनिया मा कुई इन्नी समस्या बी नी जैकू कु उपाय समाधान ना व्हा पर फिर बी गर कै समस्या कु ईलाज खोजिक बी नी मिल्णु व्हा ता इन्मा खोज हूँन्द  "जुगाड  टेक्नोलोजी " की |

इन्न बात नी च की  " जुगाड टेक्नोलोजी " फर बस हमरू ही काम -काज चल्णु च अज्जी दुनिया ता जुगाड फर साखियुं भटेय टिक्कीं च
पर भैज्जी लोग ता बुल्दीन की दुनिया भगवानै भरोसू चलणी चा अर आप बुल्णा छौ दुनिया जुगाड फर चलणी च ?
 किल्यर कारा सच्ची बात क्या च ?
 यीं बात फर भारी तुडम तुडा व्हेय पर वूंकी समझ मा  "जुगाड टेक्नोलोजी " कु महत्व अज्जी तक नी आ साकू ,हम बी परेशान व्हेकि सोच मा पोडी ग्यो अर मुंड ख्ज्याँण बैठी ग्यो
तबरी भगवान जी प्रकट व्हेय ग्यीं बल बेट्टौं क्या बात आज भारी सोच विचार मा छौ बैठयाँ  ?

हम दुया भगवानै खुट्टौं मा मुंड धैरिक बैठ ग्यो
मिल ब्वाल प्रभु उन्न ता आप्की माया अपार च पर फिर बी एक डौट हूँणु च ,फैसला कार नथिर आज हम थेय नीन्द नी आणि
इन्नु बतावा की या दुनिया कन्नुकै चलणी चा ? तुम्हरा सारु फर या "जुगाड " फर ?

एक घडी ता भगवान जी बी खोल्यै सी ग्यीं फिर कुछ सोच विचारिक अपडा अस्त्र- शस्त्र ,शंख सब धैरिक निछ्न्त व्हेकि बैठी ग्यीं ,फिर बल एक काम करला चला रौन्ड मारिक पता करला की दुनिया भगवान भरोसा चलणी  च कि "जुगाड " फर ?
मिल ब्वाल चला इन्नी सै जन्न् आप्की इच्छा

सबसे पैल्ली हम एक गौं मा पौंछो जक्ख एक बुढयकि सांग लिजाणा तैयरी हूँणी छाई अर एक बुढडी रुण फर लग्गीं अर बुन्नी
हे विधाता कन्न् रूठी ,हे भगवान अब त्यारु ही सारु च ...
सुणिक भगवान जी खुश व्हेय ग्यीं कि चला नाक कटेंण से बच ग्याई
वेका बात हम दूसर गौं कि इस्कोल मा पौंछो
द्याख कि इस्कोल मा इस्कोल्या अप्डा-२ बस्ता इन्ना उन्ना धोलिक  बैठयाँ अर उट्टकाम करण फर मिस्याँ अर एक कुण फर भोजन माता  चुल्खंदी मा भात पकाण फर लग्गीं तबरी एक बुढया उन्दु जान्द मिली
मिल पूछ ब्वाडा क्या बात इस्कोल कन्न् चल्णु चा
बल बेट्टा क्या बताण इस्कोल ता अब भगवानै भरोसू चलणी चा
भगवान जी इत्गा सुणिक फिर खुश व्हेय ग्यीं अर हम ऐथिर सटिग ग्यौ
फिर हम  पोखड़ा अस्पताल मा गौ ,वक्ख साब मरीजौं भारी भीड़ लग्गीं ,खुट्टू धरणै बी जग्गाह नी ,कैथेय मुंडारु ,कैथेय खाँसी ,कैकु हत्थ निख्ल्युं कुई घुणदा पीडा म्वन्नु ,हमल स्वाच सैद डाग्टर भोत बढिया व्हालू ,हमल पूछ भै इत्गा भीड़ क्यांकू अर कन्न चल्णु च अस्पताल
सब्बियुं एक ही जवाब -बल भै  भगवान भरोसा चल्णु च अब वेकि सारु च

हम पुंनग्डों मा गौ अर पता कार कि भै कन्न चलणी खेती पाती
बल भै कैक्की खेती अर कैकी पाती,यक्ख ता सरया दिन गूणी- बान्दर अट्गाण मा कटेणा छीं अर राति सुंगर -बाघ अर रीक्ख अट्गाण मा ,यक्ख ता सब भगवान भरोसू चल्णु च भुल्ला

इत्गा सुणिक हम झट्ट से हैंक जग्गाह पौंछी ग्यो ,ग्राम सभाौ द्वार फर स्वजल योजना कु बोर्ड तिरछां व्हेकि हमरू स्वागत कन्नु छाई ,गौं मा पौंछिक हमल द्याख कि स्टैण्डपोस्ट इन्नु खडू व्ह्युं छाई जन्न भटेय वेकु करगंन्ड  टूटयूँ व्हा ,हम्थेय समझ नी आई कि करगंन्ड  स्टैण्डपोस्टा  टूटयाँ छाई कि स्वजल योजना का ,पर या बात साफ़ छाई कि ये गौं मा विकास योज्नौं गदना आणा बाद बी भारी सुखु प्वडयूँ छाई,हमल इन्ना उन्ना द्याख ता एक बोडी कस्यैरा उन्द पाणी सरद देखे ग्याई ,
मिल ब्वाल बोडी क्या बात स्टैण्डपोस्ट व्हेकि बी पाणी रौल्युं भटेय सरेणु च ?
बल बुब्बा क्या ब्वन्न बरसूँ ता योजना पास हूँणा मा कटै ग्यीं अर बरसूँ तलक बस पैप ही सरणा रौ ,फिर सालौं मा स्टैण्डपोस्ट बण पर पाणी अज्जी तलक नी आई,पाणी सरद सरद हमरी ज्वनी खप्पी ग्याई ,हम फर बुढापा आ ग्याई पर पाणी अज्जी तलक नी आई ,
अब ता परमेश्वर ही मालिक च ,वेकु ही सारु च

हम गौं -गुठियार धार खाल -इस्कोल -अस्पताल -बिलोक सब्बि जग्गाह घूमी ग्यो पर सब्बियूँ एक ही जवाब "बस भगवान भरोसू चल्णु च काम "

ब्यखुंन दा भगवान जी अप्डा दिव्य अस्त्र-शस्त्र शंख -सुदर्शन -मुकोट,फूल फाल सजैकी खड़ा व्हेय ग्यीं
बल बेट्टौं अब ब्वाला -दुनिया कन्नुकै चलणी च ?
मिल ब्वाल परमेश्वरा लोग बी इन्नी  बुन्ना छीं कि "दुनिया भगवान भरोसू चलणी चा " पर म्यार विचार से हम्थेय  गौं छोडिक बजार-कस्बौं-शहरुँ जन्हे जाण चैंन्द अर हाँ अब्बा दौ हम चुपचाप जौला ताकि कुई बी हम्थेय हेर नी साक पर हम सब्बियुं थेय हेर सक्कौं
ठीक च ,भगवान जील टीटमोरयाँ सी गिच्चू कैरिक ब्वाल

सबसे पैल्ली हम पौड़ी शिक्षा विभागै दफ्तर मा पौंछो ,द्याख कि इस्कोला मास्टर जी बाबू दगड घूचपींच करण फर लग्यां छाई ,मास्टर जी ट्रांसफर का अर बाबू "सुविधा शुल्क " मतलब कि च्या पाणी जुगाड मा लग्यां छाई ,
मास्टर जी बुन्ना छाई -भै तुम च्या पाणी चिंता नी कैरा ,तुम बस ट्रान्सफरै जुगाड कैरा ,
भगवान जील गुस्सा मा ऐथिर लपाग धार ता हम पाणी विभाग मा पौंछी ग्यो वक्ख ठेकादार अर इंजीनियर साब होलि मिलन समारोह कि तर्ज फर मूड अर माहौल बणाण फर मिस्याँ छाई
ठेकादर ब्वन्नू - भै या स्वजल योजना बी कत्गा बढिया योजना च ,पाणी पौन्चलू भाँ नी पौन्चलू हम खुण पैसा पहुंचा ही दिन्द
अब्बे सिन्न बात नी च -योजना सुद्दी नी बणदि ,यी देख फ़ैलौं कटगल,इत्गा मेहनत कन्ना बाद तब जाकी कुछ जुगाड हूँन्द ,अब हमर भाँ से गौं मा चाहे पाणी अयाँ चाहे नी  अयाँ,हमल ता अप्डू सरया बजट ख्पै याळ अर काग्जौं मा बी पाणी ग्राम सभा मा पैटा याळ बाकी लोग जण्याँ अर भगवान जण्याँ ,तू अब बस नेता जी से बात कैरिक अब दुस्सर ग्राम सभा मा पाणी योजना कु जुगाड कैर
 इत्गा बोलिक इंजीनियर मुर्गा टांग रमोडण फर मिस्सी ग्याई

सब्बि जग्गाह पौड़ी -कोटद्वार -सतपुली शहर कि इन्नी हालत देखि भगवान जी थेय भारी बौल उठी ग्याई अर वू सडम लपाग मारिक हम्थेय लेकि देहरादून पहुँची ग्यीं,वक्ख द्याख कि नेतौं भारी रगरयाट व्हयुं,मुख्यमंत्री जीक घार भैर मिडिया वलौं भीमणाट व्हयुं अर  भीतिर सुबेर भट्टी नेतौं कि बैठक चलणी
हमल एक पत्रकार मा पूछ -भैज्जी क्या बात आज भारी भीड़ लग्गीं च ,कुछ खास बात ?
देबा मौ खास बात ,वेक बाद वूंल फटाफट एक द्वी नेतौं का पित्र पूजीं ,
हमल ब्वाल क्या बात सरकार कन्न् चलणी चा ?
बल भुल्ला सरकार त ये प्रदेश मा बरसूँ भटेय भगवान भरोसा चलणी चा
हमल ब्वाल फिर इत्गा पट्गा पटग क्वौ हूँणी चा
बल भुल्ला सरकार बचाणौ "जुगाड " हूँणु च

वेक बाद भगवान जी थेय भारी मुंडारु शुरू व्हेय ग्ये अर हम बोडिक घार आ ग्यो ,भगवान जी अपडा असल रूप मा आ ग्यीं अर वूंल फिर से अप्डा अस्त्र-शस्त्र-शँख फूल-मकोट माला सब्बि गाढ़ी द्यीं अर भारी दुखीः वेकि ब्वाल -यार बेट्टा मी ता सोच्णु छाई कि दुनिया म्यार भरोसळ चलणी पर यक्ख त
मिल ब्वाल -देखा जी बुरु नी मन्या पर कुल मिलैकि साफ़ बात या च कि जैकी चलणी च वैकी जुगाड फर चलणी च जैकी कटैणी च वेकि तुम्हरा ही सारु-भरोसू फर कटैणी च ,बाकी तुम जाणा तुम्हरू काम जण्याँ

भगवान जी - ना भै या बात ठीक नी हूँणी ,इन्मा ता काम नी चल्णु
मिल ब्वाल ता क्या व्हालू तब्बा
बल बेट्टौं देखा धौं कुछ ता करण प्वाडलू "जुगाड "
इत्गा बोलिक भगवान जी गोल व्हेय ग्यीं

हमरा बी आँखा खुल ग्यीं हम बी नै-धोईक दुई रोट्टीयूँ "जुगाड " मा अपडा दफ्तर जन्हे पैटी ग्यो ,
जान्द -जान्द हम यीं  सोच मा प्वडयाँ रौ -क्या क्वी इन्नु जुगाड नी व्हेय सक्दु कि पाहड थेय द्वी रोट्टी पहाड मा ही मिल जाव अर हमरा गौं बाँझा हूँण से बच जाव ?

हे परमेश्वर कक्ख हर्ची तू ,कुछ ता कैर " जुगाड " अब त्यारू ही सारु च पाहड थेय


Copyright@ Geetesh Singh Negi ,Mumbai  08/06/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- महर गाँव निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; कोलागाड वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मल्ला सलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; पोखड़ा -थैलीसैण वाले द्वारा  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य ,अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य  श्रृंखला जारी ]