विन्की गुन्द्क्यली मुखडी
बुरंशी सी ऊँठडी
मयालि आँखी
चौन्ठी मा कु तिल
चूड़ियों की खणक
और बगत बगत गलोडियों की भुक्की पिण वली
विन्की लटुली
नि बाँध साकी वे थेय
जू चली ग्या रणभूमि मा
छोड़िक ब्वे- बाब, भैइ बहिणों
और अप्डी सोंजडया थेय
व्हेय गया शहीद
एक और उत्तराखंड कु
मात्रभूमि की रक्षा मा
सदनी की चराह
कैरी ग्या
नाम रोशन
गढ़ - भूमि कु
बीरों भडौं कु
गढ़ रैफ़ल कु
देवभूमि उत्तराखंड कु
रचनाकार : ( गीतेश सिंह नेगी ,सिंगापूर प्रवास से ,सर्वाधिकार सुरक्षित )
No comments:
Post a Comment