हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Thursday, June 9, 2011

गढ़वाली कविता : बिचरी



बिचरी तू

अर
त्यारा वू दिन
अज्जी तक नि बदला
वा बात हैंकि च 
की जू त्यारा छाई
वू बदली
गीईं
एक -एक कैरिक  | 



रचनाकार : गीतेश सिंह नेगी ,सर्वाधिकार सुरक्षित

स्रोत : मेरे अप्रकाशित  गढ़वाली काव्य संग्रह   " घुर घूघुती घूर " से
 

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