हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Saturday, May 21, 2011

गढ़वाली कविता : छिल्लू मुझी ग्या


     
बैइमनौं  का राज मा -ईमनदरी कु
भ्रस्टाचरी गौं - समाज मा -धरमचरी कु
मैंहंगई का दौर मा - गरीबौं कु 
गल्दारौं  का राज मा - वफादरौं कु
ठेकदरौं का राज मा - ध्याड़ी मज्दुरौं कु
प्रधनी की चाह मा - गौं-पंचेतौं कु
अनपढ़ों  का राज मा - शिक्षित बेरोज्गरौं कु
और दरोल्यौं का राज मा - पाणि-पन्देरौं कु
    
छिल्लू  मुझी ग्या 
       
रचनाकार  : ( गीतेश सिंह नेगी ,सिंगापूर प्रवास से ,सर्वाधिकार 
सुरक्षित )      

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