धार मा की जौन
ऋतू बसंती मौल्यार
बग्वाली की धूम
होली का हुल्करा
थोल-मेलौं -कौथिगौं का ठट्ठा मज्जा
ग्वेरौं का बन्सुल्या गीत
खिल्यां फूल फ़्योंली और बुरांश का
और पन्देरा की बारामसी छुयीं-बत्ता
सबही बैठ्याँ छीं
बौग मारिक
चुपचाप
त्वै बिन !
रचनाकार : ( गीतेश सिंह नेगी ,सिंगापूर प्रवास से ,सर्वाधिकार सुरक्षित )
No comments:
Post a Comment