हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Tuesday, May 17, 2011

गढ़वाली कविता : केर


क्षेत्रवाद 

जातिवाद 
भ्रष्टाचार
मेहंगैई   

बेरोजगरी  
अशिक्षा 
और पलायन 
ज़रा बंधा धौं
केर यून्की
पहाड़ म़ा 

अगर बाँध सक्दो त ?  

रचनाकार : (गीतेश सिंह नेगी ,सिंगापूर प्रवास से ,सर्वाधिकार सुरक्षित)        

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