हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Monday, May 9, 2011

गढ़वाली कविता :द्वी अक्तूबर

द्वी  अक्टुबर

गांधी का देश मा
हुणी च आज गाँधी वाद की हत्या
बरसाणा  छीं  शस्त्र- वर्दी धारी
निहत्थौं फर गोली - लट्ठा
सिद्धांत कीसौं मा धैरिक
भ्रस्टाचारी व्हे ग्यीं यक्ख सब सत्ता 
जौलं दिखाणु छाई बाटू सच्चई कु
निर्भगी वू अफ्फी बिरडयाँ छीं रस्ता
ईमानदरी मुंड -सिरवणु  धैरिक नेता यक्ख 
तपणा छीं घाम बणिक संसदी देबता
दुशाषण  खड़ा छीं बाट -चौबटौं  मा द्रोपदी का 
और चुल्लौंह मा  हलैय्णी चा  सीता अज्जी तलक
और गाँधी वाद बणयूँ चा सिर्फ विषय शोध कु
बणी ग्यीं  कत्गे कठोर मुलायम  गाँधी-वादी वक्ता
अब तू ही बता हे बापू !
द्वी अक्टुबर खुन्णी जलम ल्या तिल एक बार
किल्लेय  हुन्द बार बार यक्ख
 द्वी अक्टुबर खुण फिर गांधीवाद  की हंत्या ?
निडर घुमणा छीं हत्यारा  
लिणा छीं सत्ता कु सुख  
न्यौं  सरकारौं कु धरयुं च मौन
और लुकाणा छीं गांधीवादी  मुख
और  किल्लेय  गांधीवाद  यक्ख
न्यौं -अहिंसा का बाटौं मा  लमसट्ट हुयुं च
और मिल त यक्ख तक  सुण की अज्काळ    
गाँधी का देश मा
गांधीवाद थेय  आजीवन कारावास  हुयुं च   ?
गांधीवाद थेय  आजीवन कारावास  हुयुं च   ?
गांधीवाद थेय  आजीवन कारावास  हुयुं च   ?

(उत्तराखंड आन्दोलन के अमर शहीदों को इस आस  के साथ समर्पित  की एक दिन उन्हे इन्साफ जरूर मिलेगा और उनका समग्र विकास का अधूरा स्वप्न एक दिन जरूर पूरा होगा )

रचनाकार : ( गीतेश सिंह नेगी ,सिंगापूर प्रवास से ,सर्वाधिकार सुरक्षित )
 

No comments:

Post a Comment