हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Monday, June 13, 2011

हिंदी कविता :प्रतीक्षा



निहार रहा

अनंत पथ
अथाह आस
अश्रु सजल
श्वेत धवल
शीतल स्पर्श
कर स्मरित
मन का खग
करता विरह का
करुण  क्रंदन
प्रणय मिलन
अटूट बंधन
और मेरी चिर स्वामिनी
प्रिय वर्षा का
बस एक कथन
प्रिये ! मैं  लौट आउंगी
तज स्वर्ग को भी
मत होना अधीर
करना बस प्रतीक्षा मेरी
अनवरत !

रचनाकार : गीतेश सिंह नेगी ,सर्वाधिकार  सुरक्षित

स्रोत :मेरे ब्लॉग हिमालय की गोद से

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