हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Wednesday, June 15, 2011

गढ़वाली कविता : कट्गल

पहाड़ मा
धरु - धारौं मा - नेतौं की
गौं-गौं मा - आपदौं की
दफ्तरौं मा - सरकरी फईलौं की
घर -घरौं मा - उन्दु रडदा बेरोज्गरौं की
सैण-बज़ारौं मा - नेपली डुटीयलौं की
बिलोक मा - टवटगी बिगास योजनौं की
गाड - गद्नियों मा - भ्रष्ट परियोजनौं की
राजधानी मा - बारामषी झूठी घोषणऔं की
जिला कार्यालय मा - निकज्जू अफसरौं की
और क्वलण - कुम्च्यरौं मा - दारू का ठेक्कौं की
कट्गल लग्यीं चा !


रचनाकार :गीतेश सिंह नेगी , सर्वाधिकार सुरक्षित
स्रोत : मेरे अप्रकाशित गढ़वाली काव्य संग्रह " घुर घूघुती घूर " से

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