हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Sunday, June 12, 2011

गढ़वाली कविता : बिरलु

 

बिलोका  की मीटिंग मा

व्हेय ग्या बिद्रोल
प्रमुख छाई कन्नू फिफराट    
चली ग्या कैरिक घपरोल
चांदु ठेक्क्दार  और पांचू प्रधान
कन्ना छाई ऐडाट
क्या व्हालू हमर ठेक्कौं कु अब
कन्न फुट कपाल
चतरू बुड्या हैसणु राई
थामिकी चिलम
बिरलु जी रुसालु
आखिर कज्जी तलक
फ्यारलू मुख दुधा की डिग्ची देखि
द्याखा धौं आखिर कज्जी तलक ?

 

रचनाकार : गीतेश सिंह नेगी ,सर्वाधिकार सुरक्षित
स्रोत : मेरे अप्रकाशित  गढ़वाली काव्य संग्रह   " घुर घूघुती घूर " से      


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