हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Sunday, May 27, 2012

" गढ़वली फिन्डका "

                        " गढ़वली  फिन्डका  "

(१) कलजुग मा द्याखो  भई ,  मचयूँ  कन्न घपरोल
    मनखी सस्ता व्हेय ग्यीं यक्ख  ,मैहंगू  च  पिट्रोल

(२ ) गरीबी मा जीणु मुश्किल  ,अर आफत  व्हेय ग्याई  मौत
   सरकार व्हेय ग्या सासू जन्न  ,अर मैहंगैई  व्हेय ग्याई सौत

(३ ) खाणा  कु अन्न नी मिलदु ,पीणा कु पाणि
   जैक खुट्टौं बिनाला कांडा   ,पीड़ा वी जाणी

(४)   मैहंगी  व्हेय ग्या सिगरेट बल ,सस्ती च शराब
      पीण वालू जण्या भैई  रे   ,गर  व्हेली मौ  खराब

(५) लोकतंत्र मा हुणा छीं ,किस्म किस्म का खेल
   रोज हुणा छीं परचा उन्का ,रोज हुणा छीं उ फेल

(६) विष खाणा कु पैसा नी मिल्दा , डाली खाणा कु फांस
     बैलू गौडू अर वी भी   डून्डू   ,ब्वाला कन्नू कै करण थवांस

(७ )    ढुंगा व्हेय गईं देबता  ,अर मनखी व्हेय ढुंगा
         पूजद पूजद दुयुं  थेय ,पलटीं कत्गौं का जून्का

(८)     स्याल अटकाणा छीं कुक्कर थेय , गूणी अटकाणा बाघ 
         बिरली कन्नी छीं  रखवली दुधऽकि , कन्न फुट्ट कपाऽल


..........................................................................   क्रम जारी

रचनाकार : गीतेश सिंह नेगी ,सर्वाधिकार सुरक्षित

No comments:

Post a Comment