" गढ़वली फिन्डका "
(१) कलजुग मा द्याखो भई , मचयूँ कन्न घपरोल
मनखी सस्ता व्हेय ग्यीं यक्ख ,मैहंगू च पिट्रोल
(२ ) गरीबी मा जीणु मुश्किल ,अर आफत व्हेय ग्याई मौत
सरकार व्हेय ग्या सासू जन्न ,अर मैहंगैई व्हेय ग्याई सौत
(३ ) खाणा कु अन्न नी मिलदु ,पीणा कु पाणि
जैक खुट्टौं बिनाला कांडा ,पीड़ा वी जाणी
(४) मैहंगी व्हेय ग्या सिगरेट बल ,सस्ती च शराब
पीण वालू जण्या भैई रे ,गर व्हेली मौ खराब
(५) लोकतंत्र मा हुणा छीं ,किस्म किस्म का खेल
रोज हुणा छीं परचा उन्का ,रोज हुणा छीं उ फेल
(६) विष खाणा कु पैसा नी मिल्दा , डाली खाणा कु फांस
बैलू गौडू अर वी भी डून्डू ,ब्वाला कन्नू कै करण थवांस
(७ ) ढुंगा व्हेय गईं देबता ,अर मनखी व्हेय ढुंगा
पूजद पूजद दुयुं थेय ,पलटीं कत्गौं का जून्का
(८) स्याल अटकाणा छीं कुक्कर थेय , गूणी अटकाणा बाघ
बिरली कन्नी छीं रखवली दुधऽकि , कन्न फुट्ट कपाऽल
.......................................................................... क्रम जारी
रचनाकार : गीतेश सिंह नेगी ,सर्वाधिकार सुरक्षित
(१) कलजुग मा द्याखो भई , मचयूँ कन्न घपरोल
मनखी सस्ता व्हेय ग्यीं यक्ख ,मैहंगू च पिट्रोल
(२ ) गरीबी मा जीणु मुश्किल ,अर आफत व्हेय ग्याई मौत
सरकार व्हेय ग्या सासू जन्न ,अर मैहंगैई व्हेय ग्याई सौत
(३ ) खाणा कु अन्न नी मिलदु ,पीणा कु पाणि
जैक खुट्टौं बिनाला कांडा ,पीड़ा वी जाणी
(४) मैहंगी व्हेय ग्या सिगरेट बल ,सस्ती च शराब
पीण वालू जण्या भैई रे ,गर व्हेली मौ खराब
(५) लोकतंत्र मा हुणा छीं ,किस्म किस्म का खेल
रोज हुणा छीं परचा उन्का ,रोज हुणा छीं उ फेल
(६) विष खाणा कु पैसा नी मिल्दा , डाली खाणा कु फांस
बैलू गौडू अर वी भी डून्डू ,ब्वाला कन्नू कै करण थवांस
(७ ) ढुंगा व्हेय गईं देबता ,अर मनखी व्हेय ढुंगा
पूजद पूजद दुयुं थेय ,पलटीं कत्गौं का जून्का
(८) स्याल अटकाणा छीं कुक्कर थेय , गूणी अटकाणा बाघ
बिरली कन्नी छीं रखवली दुधऽकि , कन्न फुट्ट कपाऽल
.......................................................................... क्रम जारी
रचनाकार : गीतेश सिंह नेगी ,सर्वाधिकार सुरक्षित
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