हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Sunday, December 2, 2012

"देखि ले"

                               "देखि ले"
जिंदगी मझधार मा चा  , सांसु आखरी  भोरी ले
कब तलक  चाललू  राज इन्नु ,लैडिक या लडै भी देखि ले
काला दिन छीन , रात  काली रुमुक भी प्वाडली
मुख काला बैरयुंऽक  व्हाला एकदिन ,
आज भटैय तौंकी तस्वीरो थेय पहचाणी  गेड मारी धैरी ले

घणा डालूं बीच कुयेडी लौंफली
चिरी आलू घाम कुयेडी, एकदिन तू देखि ले

बाँधिक सच झूठा ज्युडौ मोरदु नि ,
कैरि हिकमत एकदिन चाहे  फाँस डाली देखि ले

बाँधी ले कत्गा दिवार ,सच कब्भी भी डरदू नि
कन्न हुंद येकू न्यौ निसाफ , वे दिन ही देखि ले
झूठा लोग ,झूठा धरम , झूठ ही जौंकू ईमान च
झूठा देब्तौं देखि  डैरी ना ,
ट्वटगा मुंड कब से बैठयाँ छी
अफ्फार घात घाली देखि ले .......

स्रोत :हिमालय की गोद से ,सर्वाधिकार सुरक्षित (गीतेश सिंह नेगी )

No comments:

Post a Comment