"देखि ले"
जिंदगी मझधार मा चा , सांसु आखरी भोरी ले
कब तलक चाललू राज इन्नु ,लैडिक या लडै भी देखि ले
काला दिन छीन , रात काली रुमुक भी प्वाडली
मुख काला बैरयुंऽक व्हाला एकदिन ,
आज भटैय तौंकी तस्वीरो थेय पहचाणी गेड मारी धैरी ले
घणा डालूं बीच कुयेडी लौंफली
चिरी आलू घाम कुयेडी, एकदिन तू देखि ले
बाँधिक सच झूठा ज्युडौ मोरदु नि ,
कैरि हिकमत एकदिन चाहे फाँस डाली देखि ले
बाँधी ले कत्गा दिवार ,सच कब्भी भी डरदू नि
कन्न हुंद येकू न्यौ निसाफ , वे दिन ही देखि ले
झूठा लोग ,झूठा धरम , झूठ ही जौंकू ईमान च
झूठा देब्तौं देखि डैरी ना ,
ट्वटगा मुंड कब से बैठयाँ छी
अफ्फार घात घाली देखि ले .......
स्रोत :हिमालय की गोद से ,सर्वाधिकार सुरक्षित (गीतेश सिंह नेगी )
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