घुर घुगुती घुर
हैरी डांडीयूँ का बाना ,हिवांली कांठीयूँ का बाना
बांजा रै गईं जू स्यारा ,रौन्तेली वूं पुन्गडीयूँ का बाना
घुर घुगुती घुर ...............
रीति कुडीयूँ का बाना ,जग्वल्दी चौक शहतीरौं का बाना
खोज्णा छीं सखियुं भटेय जू बाटा ,बिरडयाँ वूं अप्डौं का बाना
घुर घुगुती घुर ...............
रूणी झुणक्याली दाथी ,गीतांग घस्यरीयूँ का बाना
बन्ध्या रे गईं जू ज्युडौं ,निर्भगी वूं बिठगौं का बाना
घुर घुगुती घुर ...............
टपरान्दी अन्खियुंऽक कू सारु , बगदी अस्धरियूँऽ बाना
तिस्वला रे गईं जू साखियुं ,यखुली वूं छोया -पंदेरौं का बाना
घुर घुगुती घुर ...............
पिंगली फ्योंली रुणाट ,खून बुरंशीऽ का बाना
मुख चढैकि बैठीयूँ जू जिदेर ,फूल वे ग्वीराल बाना
घुर घुगुती घुर ...............
रीती रुढीयुं का जोग ,बुढेन्द बसंत भग्यान
इन्न लौन्प कुयेडी ,टपरान्द रे ग्या असमान
चल गईं फिर भी छोडिक जू मैत्युं ,वूं पापी पुटगियुं का बाना
घुर घुगुती घुर
घुर घुगुती घुर
घुर घुगुती घुर .....................
स्रोत : अप्रकाशित गढ़वाली काव्य संग्रह " घुर घुगुती घुर " से , सर्वाधिकार सुरक्षित (गीतेश सिंह नेगी )
हैरी डांडीयूँ का बाना ,हिवांली कांठीयूँ का बाना
बांजा रै गईं जू स्यारा ,रौन्तेली वूं पुन्गडीयूँ का बाना
घुर घुगुती घुर ...............
रीति कुडीयूँ का बाना ,जग्वल्दी चौक शहतीरौं का बाना
खोज्णा छीं सखियुं भटेय जू बाटा ,बिरडयाँ वूं अप्डौं का बाना
घुर घुगुती घुर ...............
रूणी झुणक्याली दाथी ,गीतांग घस्यरीयूँ का बाना
बन्ध्या रे गईं जू ज्युडौं ,निर्भगी वूं बिठगौं का बाना
घुर घुगुती घुर ...............
टपरान्दी अन्खियुंऽक कू सारु , बगदी अस्धरियूँऽ बाना
तिस्वला रे गईं जू साखियुं ,यखुली वूं छोया -पंदेरौं का बाना
घुर घुगुती घुर ...............
पिंगली फ्योंली रुणाट ,खून बुरंशीऽ का बाना
मुख चढैकि बैठीयूँ जू जिदेर ,फूल वे ग्वीराल बाना
घुर घुगुती घुर ...............
रीती रुढीयुं का जोग ,बुढेन्द बसंत भग्यान
इन्न लौन्प कुयेडी ,टपरान्द रे ग्या असमान
चल गईं फिर भी छोडिक जू मैत्युं ,वूं पापी पुटगियुं का बाना
घुर घुगुती घुर
घुर घुगुती घुर
घुर घुगुती घुर .....................
स्रोत : अप्रकाशित गढ़वाली काव्य संग्रह " घुर घुगुती घुर " से , सर्वाधिकार सुरक्षित (गीतेश सिंह नेगी )
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