" खुदा "
वक्त गुजरता रहा क्या से क्या हो गया
हमने जब भी जिसे चाहा वही खुदा हो गया
चाहत एय इश्क में क़त्ल हो गयीं आँखें
फिर कुछ नहीं देखा
जब भी जिसको देखा वही बस फरिश्ता हो गया
गम की स्याह रातौं में रोने से अब क्या फ़ायदा
वक्त की करवटों के रुख से मैं खुद ही बे-जिया हो गया
वक्त गुजरता रहा क्या से क्या हो गया
हमने जब भी जिसे चाहा वही खुदा हो गया
मेरे खुदा ने लिख दी तहरीर मेरी अश्कों से उस रोज
चाहा लिपटकर जब रोना मैने
और उसने सिर्फ चुप होने का इशारा कर दिया
उसकी यादें जीनत है मेरी जिंदगी भर की
और अब मुझे तडफ कर नहीं जीना
मांगता रहा मौत खुदा से यही सोचकर
पर उसने जीना सजा मुकरर्र कर दिया
वक्त गुजरता रहा क्या से क्या हो गया
हमने जब भी जिसे चाहा वही खुदा हो गया
स्रोत : हिमालय की गोद से ,गीतेश सिंह नेगी (सर्वाधिकार सुरक्षित)
वक्त गुजरता रहा क्या से क्या हो गया
हमने जब भी जिसे चाहा वही खुदा हो गया
चाहत एय इश्क में क़त्ल हो गयीं आँखें
फिर कुछ नहीं देखा
जब भी जिसको देखा वही बस फरिश्ता हो गया
गम की स्याह रातौं में रोने से अब क्या फ़ायदा
वक्त की करवटों के रुख से मैं खुद ही बे-जिया हो गया
वक्त गुजरता रहा क्या से क्या हो गया
हमने जब भी जिसे चाहा वही खुदा हो गया
मेरे खुदा ने लिख दी तहरीर मेरी अश्कों से उस रोज
चाहा लिपटकर जब रोना मैने
और उसने सिर्फ चुप होने का इशारा कर दिया
उसकी यादें जीनत है मेरी जिंदगी भर की
और अब मुझे तडफ कर नहीं जीना
मांगता रहा मौत खुदा से यही सोचकर
पर उसने जीना सजा मुकरर्र कर दिया
वक्त गुजरता रहा क्या से क्या हो गया
हमने जब भी जिसे चाहा वही खुदा हो गया
स्रोत : हिमालय की गोद से ,गीतेश सिंह नेगी (सर्वाधिकार सुरक्षित)
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