अलविदा जिंदगी !
गमो को सुर बना लिया यादों को तेरी साज बना लिया
तंग थी जिंदगी सो ख्वाबौं को तेरी पनाहगाह बना लिया
यु तो अब आलम है रोज ख़ामोशी का और नया कुछ नहीं
लब्ज़ लगे होठों को तेरे सोच मैने अपनी आवाज बना लिया
क़दम मेरे अक्सर ठिठक जाते है आज भी उस राह पर जहाँ कभी हम थे मिले
मैं अब भी मिलूंगा बिलखता वहीँ जहाँ खीचकर लकीर तुमने दरम्यां फासला बना लिया
बहुत रोया लिपटकर उस रोज वो शख्स पहली बार शायद मुझसे "गीत "
जब मैने कहा अलविदा जिंदगी ! अब दिन तेरी रुक्सत का आ गया
जब मैने कहा अलविदा जिंदगी ! अब दिन तेरी रुक्सत का आ गया
स्रोत :हिमालय हिमालय की गोद से ,गीतेश सिंह नेगी,सर्वाधिकार सुरक्षित
गमो को सुर बना लिया यादों को तेरी साज बना लिया
तंग थी जिंदगी सो ख्वाबौं को तेरी पनाहगाह बना लिया
यु तो अब आलम है रोज ख़ामोशी का और नया कुछ नहीं
लब्ज़ लगे होठों को तेरे सोच मैने अपनी आवाज बना लिया
क़दम मेरे अक्सर ठिठक जाते है आज भी उस राह पर जहाँ कभी हम थे मिले
मैं अब भी मिलूंगा बिलखता वहीँ जहाँ खीचकर लकीर तुमने दरम्यां फासला बना लिया
बहुत रोया लिपटकर उस रोज वो शख्स पहली बार शायद मुझसे "गीत "
जब मैने कहा अलविदा जिंदगी ! अब दिन तेरी रुक्सत का आ गया
जब मैने कहा अलविदा जिंदगी ! अब दिन तेरी रुक्सत का आ गया
स्रोत :हिमालय हिमालय की गोद से ,गीतेश सिंह नेगी,सर्वाधिकार सुरक्षित
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