हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Sunday, January 6, 2013

तन्हा सफ़र



घुप्प अंधेरों  मे कटता  है तन्हा  सफ़र  
 कुछ तो बचा  के उम्मीदों  के उजाले रखो

बहुत उडेंगी सुर्ख फिजाओं में खामोश बातें
जितना हो सके कम हमसे अब फासला रखो

यू  आसां नहीं  मुस्कुराना इस जमाने में प्यार बिन
अक्सर अकेले में भी रोने का  कभी   हौसला रखो

बहुत आयेंगी कयामतें राह एय  मोहबत्त  में  अभी
हो सके तो हुनर आँधियों  में चिराग जगमगाने का रखो

 इश्क से रुस्वाईयां  तुझको ही नहीं दुनिया को भी हैं "गीत "
 मुमकीन है तकरार हो  खुदा  से भी कभी इतना तो कलेजा रखो 
 


स्रोत :   हिमालय की गोद से ,गीतेश सिंह नेगी (सर्वाधिकार सुरक्षित )

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