हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Sunday, October 3, 2010

" पुकारते गीत "



मेरे  गीत और मेरी गजल, तुम्हे आवाज  लगाने आयेंगे  
शायद  तुम ना पहचान पाओ,मेरे अतीत को भी
वो  कल  तुम्हे बीते लम्हों की ,याद दिलाने आएंगे
मेरे  गीत और मेरी गजल, तुम्हे आवाज  लगाने आयेंगे


जिन रास्तौं  से भटकी हुए हो तुम अभी ,प्यार के ऐ - बेवफा
मोहब्बतकशों के पिछले निशाँ,तुम्हे मंजिल दिखाने आयेंगे
मेरे  गीत और मेरी गजल, तुम्हे  आवाज लगाने आयेंगे  

स्याह रात के सन्नाटो में अक्सर,जब मैं खो जाता हो तन्हाई में
ऐसे में  सुखद स्वप्न मेरे ,बेशक तुम्हारी नींद उड़ाने आयेंगे
मेरे  गीत और मेरी गजल, तुम्हे आवाज  लगाने आयेंगे

मेरे दिल का पता भी ,तुम बेशक  भुला दोगे कल तलक
ऐसे में  जज्बाती ख़त मेरे ,तुम्हे मेरा पता बताने आयेंगे
मेरे  गीत और मेरी गजल, तुम्हे आवाज लगाने आयेंगे

मेरी यादौं के जनाजे पे ,तू  बेशक  ना आये ऐ - बेवफा
तेरी बेवफाई की अर्थी को ,मेरे ख्वाब हर- हाल  कन्धा देने आयेंगे
मेरे  गीत और मेरी गजल, तुम्हे आवाज  लगाने आयेंगे
मेरे  गीत और मेरी गजल, तुम्हे आवाज  लगाने आयेंगे
मेरे  गीत और मेरी गजल, तुम्हे आवाज  लगाने आयेंगे

1 comment:

  1. Waah Kya baat hai .. Baat jo dil se nikalti hai asar rakhti hai, der hi se sahi phir bhi asar karti hai ....

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