गढ़वाल मा पुंडीर नेगी या पुंडीर रावत जाति की मूल उत्पत्ति का बारा मा चर्चा करणं से पहली पुंडीर राजपूतों कु सम्पूर्ण इतिहास का बारा मा चर्चा करण जरुरी चा जू भगवान श्री राम का पुत्र कुश का वंशज छीन | पुंडीर सब्द की उत्पति रजा पुंडरिक का नाम फ़र व्ह्याई जू बाद मा राज -पाट छोड़ छाडी की कुल्लू (हिमाचल प्रदेश ) मा चली ग्या छाई |
पुंडीर सूर्यवंशी राजपूत हुन्दी जौंल नाह्न (हिमाचल ),सहारनपुर (जसमोर रियासत ) और उत्तराखंड प्रदेश का गढ़वाल क्षेत्र मा राज काई | यूँ की कुलदेवी राजस्थान और सहारनपुर मा माँ शाकुम्बरी देवी छीन जौं कु भव्य मंदिर जसमोर रियासात का बेहट क़स्बा मा विराजमान चा जबकि गढ़वाल मा यूं की कुलदेवी पुण्याक्षणी देवी चा | परन्तु उत्तर भारत मा पुंडीर वंश की उत्पति दक्षिण भारत का तेलंग परदेश जू की आधुनिक तेलंगाना परेद्श ( प्राचीन पुण्डर रियासत ) का नाम से प्रसिद्ध च व्ह्याई जैका प्रतापी राजा मंदोंखरदेव हुईं जू एक बार आधुनिक हरियाणा परदेश का कुरुक्षेत्र मा भ्रमण खुण गईं तब सिंध परदेश का राजल उन्थेय अपड़ी पुत्री कु विवाह कु प्रस्ताव दये और बदला मा कैथल (आधुनिक हरियाणा कु एक जिल्ला ) कु क्षेत्र उन्थेय भेंट कार | उत्तर भारत मा पुंडीर राजपुतौं कु असल विकास राजा वंशधर का राज मा व्ह्याई जौंल कैथल का समीप पूंडरी (आधुनिक पूंडरी ) और कुरुक्षेत्र का थानेसर (जो कन्नौज का राजा हर्ष -वर्धन की राजधानी भी राहि) मा अनेक किल्लूं कु निर्माण काई जैक्का प्रमाण आज भी पुरातात्विक रूप मा उपलभ्द छी |
आपकी जानकारी खुण यक्हम यु जिकर कर्णु जरुरी च क़ि पंजाब का भटिंडा और आधुनिक हरियाणा का समांना ,करनाल , और अम्बाला पुंडीर राजपूतों का गढ़ रहिन और चौहान राजा पृथिवी राज चौहान का राज मा पुंडीर राजपूतों थे प्रमुख अधिक्कार और सम्मान दिए ग्या | पुंडीर राजपूत मा चन्द कदम्बवासा पृथिवी राज चौहान का प्रमुख मंत्री छाई ,वेकु भुल्ला चन्द पुंडीर सीमांत लाहौर क्षेत्र मा सेना प्रमुख छाई जबकि सबसे छोटू भुल्ला चन्द राय पृथिवी राज चौहान और मोहम्मद गौरी का बीच प्रमुख एतिहासिक ताराईन(आधुनिक तरावडी जू कुरुक्षेत्र का पास एक छुट्टू सी क़स्बा चा और बासमती चौलं की खेती खूण मशहुर चा) क़ि लड़ाई मा जनरल छाई | यूँ बातुन से या बात एक दम साफ़ चा क़ि इतिहास मा पुंडीर राजपूतों थे अत्याधिक सम्मान प्राप्त छाई जो क़ि उनकी राजपूती शान और वीरता क़ी परिचायक चा .
मुग़ल शासक शाहजहाँ का काल मा गंगा और जमुना का बीचा कु भाग ( दोआब ) का मऊ क्षेत्र मा पुंडीर राजा जगत सिंह पुंडीर प्रतापी राजा छाई जौन औरंगजेब क़ी बगावत कु फायदा उठाकी मुग़ल शासन का खिलाफ बगावत कु बिगुल बजा देय और अपड़ी छुट्टी सी सेना से मुगलों थे युद्ध मा धुल चटाई दये .ये का अलवा अलीगढ मा पुंडीर राजा धमर सिंह पुंडीर प्रतापी राजपूत वहीं जौलं बिजैगढ़ किल्ला कु निर्माण कार .अठारवीं सदी मा पुंडीर राजपूतों और अंग्रेज सेना मा भीषण युद व्ह्याई जै मा अंग्रेजओउन थे विजय प्राप्त व्हाई और बिजैगढ़ कु किल्ला फर अंग्रेजओउन कु कब्ज़ा व्हेय ग्या.येक्का अलवा मनहर खेडा (आधुनिक जलालाबाद जू क़ी मुज्ज़फरनगर और सहारनपुर का बीच एक क़स्बा चा) मा पुंडीर राजपूत मनहर सिंह पुंडीर का अधीन छाई जौन क़ी कुल देवी मा शाकुम्बरी का मंदिर मा सड़क निर्माण का कारण मुग़लओउन दगड बिगड़ी ग्या और जै क़ी कीमत उन थे मनहर गढ़ कु किल्ला गवांणं प्वाड़ .अलीगढ का नज़दीक अकराबाद क्षेत्र भी पुंडीर राज्पुतोउन का अधीन राहि और सोलवीं सदी मा रोहन सिंह पुंडीर न रोहाना सिंहपुर (आधुनिक रोहाना ) क़ी स्थापन्ना काई .
सहारनपुर क्षेत्र मा जसमोर रियासत जू की पुंडीर राज्पुतौं की कुलदेवी शाकुम्बरी कु क्षेत्र च, गढ़वाल का पुंडीर नेगी और पुंडीर रावतों का मूल क्षेत्र चा | आधुनिक पश्चिमी उत्तर परदेश का सहारनपुर जनपद मा आज भी बेहट ,नानोता और छुटमलपुर और निकटवर्ती क्षेत्र मा पुंडीर राजपूतों का कयी गौं छि और सहारनपुर नगर से ४० कि.मी पूर्व दिशा मा जसमोर गौं का नजदीक माँ शाकुम्बरी देवी कु मंदिर चा जू पुंडीर राज्पुतौं की कुल देवी चा .लोक कथाओं का अनुसार माँ दुर्गा ल यक्ख महिसासुर कु वध करण से पहली १०० साल तक तप कार और हर मास का अंत मा वुन बस फलाहार कार छेई .एय कारण से दुर्गा कु नाम शाकुम्बरी अर्थात (शाक का आहार करण वल्ली ) पोड़ ग्य्याई .ऐय मंदिर से एक क़ि . मी पहली बाबा भूरा देव (भेरों ) कु मंदिर चा जौन का बार मा एन्न बोल्दी क़ि वू तप का दौरान देवी क़ि रक्षा कन्ना चाई . देवी का दर्शन से पहली आज भी लोग पहली बाबा भूरा देव का मंदिर मा पूजा कन्ना कु जंदी , उन शाकुम्बरी देवी कु दुसुरु मंदिर आधुनिक राजस्थान का जयपुर शहर से ९० क़ि.मी दूर एक एक लूणया पानी क़ि झील (सांभर झील ) का तीर भी विराज्म्मान चा जू त-करीबन १३३० साल पुराणु मानने जांद.एय मंदिर का बारा मा बुली जांद क़ि एक बार देवी ल खुश हवे क़ि पहाड़ी जंगल थे चाँदी का मैदान मा बदल द्याए पर भगत लोगों ल ऐय थे देवी कु हंकार समझक़ि व्हींकी पूजा सुरु कार और विनती करण बैठ गईं तब देवी ल प्रसन व्हेय क़ि चाँदी थे लूण मा बदल दई जो क़ि आज भी झील का पानी मा मिलद .
गढ़वाल मा प्रतापी पुंडीर राजा वत्सराज देव वहीं जै क़ी राजधानी मायापुर (आधुनिक हरिद्वार ) छाई.चूँकि मायापुर पूरण जम्ना से ही एक प्रसिद्ध धार्मिक क्षेत्र छाई एल्ले मुग़ल और अन्य आक्रमणकरियौं क़ी बुरी नज़र सदनी मायापुर जन्ने लगीं राहि और व्हेय क़ी भारी कीमत मायापुर थे चुकाणी प्वाड़ नासिर- उद- दिन मोहम्द और वेक बाद तेमूर का भयानक आक्रमण से ज्यालं ऐय क्षेत्र मा पुंडीर राज्पुतौं कु अधिपत्य समाप्त हवे गेई .
लगभग १८ वी सदी मा गढ़वाल का राजा ललित शाह छाई जौलं देहरादून का १२ गौं राणा गुलाब सिंह पुंडीर थे अपड़ी नौनी का हाथ दगडी सौंप दी अगर सच बुल्ले जा एय उनकी कोशिश छाई वे क्षेत्र मा राज्पुतौं और गुर्जर बिद्रोल थेय कम कन्ना क़ी | राज़ा ललित शाह का द्वी नौंना छाई (१) जयकृत शाह (२) प्रदुम्न शाह
अठारवीं सदी मा जयकृत शाह और प्रदुम्न शाह क़ी आपसी मन मुटाव कु लाभ गोरखों न उठाई और उन श्रीनगर पर आक्रमण करी द्याई.राजा प्रदुम्न शाह थे श्रीनगर भट्टे पलायन करण प्वाड़ पर उन् हार नि मानी और पुंडीर राज्पुतौं,रांगड़ राज्पुतौं और गुर्ज्जर सेना का साथ खुदबुडा का मैदान मा पहुँच गयें .ऐय युद्ध मा राजा का द्वी भाई और द्वी राजकुमार सुदर्शन शाह और देवी सिंह भी लडीं पर दुर्भाग्य बस एय युद्ध मा राजा प्रदुम्न शाह थे अपना प्राण गवांण प्वडी.
काल-अंतर मा ब्रिटिश सेना क़ी मदद से गोरखों थेय खदेड़ना का बाद दून क्षेत्र पुंडीर राज्पुतौं का अधिपत्य मा ही राहि |
गढ़वाल मा चौन्दकोट पट्टी मा और अन्य क्षेत्र मा आज भी पुंडीर रावतुं और पुंडीर नेगियौं का गौं राजी -ख़ुशी बस्यां छीन |
हालांकि अभी पुंडीर रावत और पुंडीर नेगी गढ़वाल मा कख कख बस्यां छें मी ठीक से नि बोल सकदु पर मेरी जानकारी का हिसाब से चौन्दकोट पट्टी का रिटेल गौं मा पुंडीर रावत बस्यां छी| जू क्वाला (बौन्द्र ) से रिटेल मा आकी बसीं उन् पौड़ी मा पुड्यर गौं मा भी पुंडीर राजपूत बस्यां छी और मेरी जानकारी से पुड्यर नाम पुंडीर जाति का कारण से ही प्वाडू होलू |
मी थेय उम्मीद च की ऐय का अलावा भी गढ़वाल या कुमौं मा पुंडीर राजपूत बस्यां व्हाला पर मेरी जानकारी अभी ऐय मामला माँ एत्गा तक ही सिमित चा और सायेद कुछ समय बाद ऐय बार मा मी अधिक जानकारी आप लोगौं दगड बाँट सकूँ |
आज भी सहारनपुर का निकटवर्ती क्षेत्र मा पुंडीर राजपूत ,सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक रूप से सक्रिय छी |ये का अलावा रायल गढ़वाल रायफल से लेकर कारगिल युद्ध मा भी गढ़वाल और सहारनपुर क्षेत्र का पुंडीर राजपूत समय-समय समय फर अप्डू इतिहास दोहराणा रैं |
आखिरी मा मी ऐय निष्कर्ष फर औं और मान सकदु क़ी पुंडीर नेगी और पुंडीर रावत मूल रूप से सहारनपुर का ही पुंडीर राजपूत छी जौं कु विस्तार तेलंग प्रदेश से लेकर राजस्थान,पंजाब ,हरियाणा ,दोआब क्षेत्र सहारनपुर और देहरादून राहि |
* उपरोक्त जानकारी थेय केवल आदान प्रदान मा प्रयोग का वास्ता लिये जाव,जू मिल विषय मा रूचि का कारण विगत कुछ वर्षो मा सहारनपुर ,मनहर -खेडा ,जस्मोर, बेहट ,छुट-मलपुर ,सरसावा व नानोता क्षेत्र का अपणा दोस्तों व कुरुँक्षेत्र मा अपडा छात्र काल मा पूंडरी ,अम्बाला ,कैथल ,थानेसर ,करनाल,समाना आदि स्थानों का भ्रमण व सहारनपुर मा अनेक बार माता शाकुम्बरी का दर्शन से विभिन्न लोगो से जुटाई |ऐतिहासिक विवरण अध्यन का विभिन्न माध्यमों(अखबार,पत्रिका,और अन्य ) से छें |उपरोक्त जानकारी कक्खी मा या बहुत सी जगहों मा गलत भी व्हेय सकद पर साथ मा मी आपसे आशा भी करदू की इंयी दिशा मा आपकू ज्ञान और सहयोग सायेद हम सबही थेय पुंडीर रावतोउन और पुंडीर नेगी जाति का लघु इतिहास की इंयी श्रंखला थेय एथिर बढाना मा सहयोग कार |
पुंडीर सूर्यवंशी राजपूत हुन्दी जौंल नाह्न (हिमाचल ),सहारनपुर (जसमोर रियासत ) और उत्तराखंड प्रदेश का गढ़वाल क्षेत्र मा राज काई | यूँ की कुलदेवी राजस्थान और सहारनपुर मा माँ शाकुम्बरी देवी छीन जौं कु भव्य मंदिर जसमोर रियासात का बेहट क़स्बा मा विराजमान चा जबकि गढ़वाल मा यूं की कुलदेवी पुण्याक्षणी देवी चा | परन्तु उत्तर भारत मा पुंडीर वंश की उत्पति दक्षिण भारत का तेलंग परदेश जू की आधुनिक तेलंगाना परेद्श ( प्राचीन पुण्डर रियासत ) का नाम से प्रसिद्ध च व्ह्याई जैका प्रतापी राजा मंदोंखरदेव हुईं जू एक बार आधुनिक हरियाणा परदेश का कुरुक्षेत्र मा भ्रमण खुण गईं तब सिंध परदेश का राजल उन्थेय अपड़ी पुत्री कु विवाह कु प्रस्ताव दये और बदला मा कैथल (आधुनिक हरियाणा कु एक जिल्ला ) कु क्षेत्र उन्थेय भेंट कार | उत्तर भारत मा पुंडीर राजपुतौं कु असल विकास राजा वंशधर का राज मा व्ह्याई जौंल कैथल का समीप पूंडरी (आधुनिक पूंडरी ) और कुरुक्षेत्र का थानेसर (जो कन्नौज का राजा हर्ष -वर्धन की राजधानी भी राहि) मा अनेक किल्लूं कु निर्माण काई जैक्का प्रमाण आज भी पुरातात्विक रूप मा उपलभ्द छी |
आपकी जानकारी खुण यक्हम यु जिकर कर्णु जरुरी च क़ि पंजाब का भटिंडा और आधुनिक हरियाणा का समांना ,करनाल , और अम्बाला पुंडीर राजपूतों का गढ़ रहिन और चौहान राजा पृथिवी राज चौहान का राज मा पुंडीर राजपूतों थे प्रमुख अधिक्कार और सम्मान दिए ग्या | पुंडीर राजपूत मा चन्द कदम्बवासा पृथिवी राज चौहान का प्रमुख मंत्री छाई ,वेकु भुल्ला चन्द पुंडीर सीमांत लाहौर क्षेत्र मा सेना प्रमुख छाई जबकि सबसे छोटू भुल्ला चन्द राय पृथिवी राज चौहान और मोहम्मद गौरी का बीच प्रमुख एतिहासिक ताराईन(आधुनिक तरावडी जू कुरुक्षेत्र का पास एक छुट्टू सी क़स्बा चा और बासमती चौलं की खेती खूण मशहुर चा) क़ि लड़ाई मा जनरल छाई | यूँ बातुन से या बात एक दम साफ़ चा क़ि इतिहास मा पुंडीर राजपूतों थे अत्याधिक सम्मान प्राप्त छाई जो क़ि उनकी राजपूती शान और वीरता क़ी परिचायक चा .
मुग़ल शासक शाहजहाँ का काल मा गंगा और जमुना का बीचा कु भाग ( दोआब ) का मऊ क्षेत्र मा पुंडीर राजा जगत सिंह पुंडीर प्रतापी राजा छाई जौन औरंगजेब क़ी बगावत कु फायदा उठाकी मुग़ल शासन का खिलाफ बगावत कु बिगुल बजा देय और अपड़ी छुट्टी सी सेना से मुगलों थे युद्ध मा धुल चटाई दये .ये का अलवा अलीगढ मा पुंडीर राजा धमर सिंह पुंडीर प्रतापी राजपूत वहीं जौलं बिजैगढ़ किल्ला कु निर्माण कार .अठारवीं सदी मा पुंडीर राजपूतों और अंग्रेज सेना मा भीषण युद व्ह्याई जै मा अंग्रेजओउन थे विजय प्राप्त व्हाई और बिजैगढ़ कु किल्ला फर अंग्रेजओउन कु कब्ज़ा व्हेय ग्या.येक्का अलवा मनहर खेडा (आधुनिक जलालाबाद जू क़ी मुज्ज़फरनगर और सहारनपुर का बीच एक क़स्बा चा) मा पुंडीर राजपूत मनहर सिंह पुंडीर का अधीन छाई जौन क़ी कुल देवी मा शाकुम्बरी का मंदिर मा सड़क निर्माण का कारण मुग़लओउन दगड बिगड़ी ग्या और जै क़ी कीमत उन थे मनहर गढ़ कु किल्ला गवांणं प्वाड़ .अलीगढ का नज़दीक अकराबाद क्षेत्र भी पुंडीर राज्पुतोउन का अधीन राहि और सोलवीं सदी मा रोहन सिंह पुंडीर न रोहाना सिंहपुर (आधुनिक रोहाना ) क़ी स्थापन्ना काई .
सहारनपुर क्षेत्र मा जसमोर रियासत जू की पुंडीर राज्पुतौं की कुलदेवी शाकुम्बरी कु क्षेत्र च, गढ़वाल का पुंडीर नेगी और पुंडीर रावतों का मूल क्षेत्र चा | आधुनिक पश्चिमी उत्तर परदेश का सहारनपुर जनपद मा आज भी बेहट ,नानोता और छुटमलपुर और निकटवर्ती क्षेत्र मा पुंडीर राजपूतों का कयी गौं छि और सहारनपुर नगर से ४० कि.मी पूर्व दिशा मा जसमोर गौं का नजदीक माँ शाकुम्बरी देवी कु मंदिर चा जू पुंडीर राज्पुतौं की कुल देवी चा .लोक कथाओं का अनुसार माँ दुर्गा ल यक्ख महिसासुर कु वध करण से पहली १०० साल तक तप कार और हर मास का अंत मा वुन बस फलाहार कार छेई .एय कारण से दुर्गा कु नाम शाकुम्बरी अर्थात (शाक का आहार करण वल्ली ) पोड़ ग्य्याई .ऐय मंदिर से एक क़ि . मी पहली बाबा भूरा देव (भेरों ) कु मंदिर चा जौन का बार मा एन्न बोल्दी क़ि वू तप का दौरान देवी क़ि रक्षा कन्ना चाई . देवी का दर्शन से पहली आज भी लोग पहली बाबा भूरा देव का मंदिर मा पूजा कन्ना कु जंदी , उन शाकुम्बरी देवी कु दुसुरु मंदिर आधुनिक राजस्थान का जयपुर शहर से ९० क़ि.मी दूर एक एक लूणया पानी क़ि झील (सांभर झील ) का तीर भी विराज्म्मान चा जू त-करीबन १३३० साल पुराणु मानने जांद.एय मंदिर का बारा मा बुली जांद क़ि एक बार देवी ल खुश हवे क़ि पहाड़ी जंगल थे चाँदी का मैदान मा बदल द्याए पर भगत लोगों ल ऐय थे देवी कु हंकार समझक़ि व्हींकी पूजा सुरु कार और विनती करण बैठ गईं तब देवी ल प्रसन व्हेय क़ि चाँदी थे लूण मा बदल दई जो क़ि आज भी झील का पानी मा मिलद .
गढ़वाल मा प्रतापी पुंडीर राजा वत्सराज देव वहीं जै क़ी राजधानी मायापुर (आधुनिक हरिद्वार ) छाई.चूँकि मायापुर पूरण जम्ना से ही एक प्रसिद्ध धार्मिक क्षेत्र छाई एल्ले मुग़ल और अन्य आक्रमणकरियौं क़ी बुरी नज़र सदनी मायापुर जन्ने लगीं राहि और व्हेय क़ी भारी कीमत मायापुर थे चुकाणी प्वाड़ नासिर- उद- दिन मोहम्द और वेक बाद तेमूर का भयानक आक्रमण से ज्यालं ऐय क्षेत्र मा पुंडीर राज्पुतौं कु अधिपत्य समाप्त हवे गेई .
लगभग १८ वी सदी मा गढ़वाल का राजा ललित शाह छाई जौलं देहरादून का १२ गौं राणा गुलाब सिंह पुंडीर थे अपड़ी नौनी का हाथ दगडी सौंप दी अगर सच बुल्ले जा एय उनकी कोशिश छाई वे क्षेत्र मा राज्पुतौं और गुर्जर बिद्रोल थेय कम कन्ना क़ी | राज़ा ललित शाह का द्वी नौंना छाई (१) जयकृत शाह (२) प्रदुम्न शाह
अठारवीं सदी मा जयकृत शाह और प्रदुम्न शाह क़ी आपसी मन मुटाव कु लाभ गोरखों न उठाई और उन श्रीनगर पर आक्रमण करी द्याई.राजा प्रदुम्न शाह थे श्रीनगर भट्टे पलायन करण प्वाड़ पर उन् हार नि मानी और पुंडीर राज्पुतौं,रांगड़ राज्पुतौं और गुर्ज्जर सेना का साथ खुदबुडा का मैदान मा पहुँच गयें .ऐय युद्ध मा राजा का द्वी भाई और द्वी राजकुमार सुदर्शन शाह और देवी सिंह भी लडीं पर दुर्भाग्य बस एय युद्ध मा राजा प्रदुम्न शाह थे अपना प्राण गवांण प्वडी.
काल-अंतर मा ब्रिटिश सेना क़ी मदद से गोरखों थेय खदेड़ना का बाद दून क्षेत्र पुंडीर राज्पुतौं का अधिपत्य मा ही राहि |
गढ़वाल मा चौन्दकोट पट्टी मा और अन्य क्षेत्र मा आज भी पुंडीर रावतुं और पुंडीर नेगियौं का गौं राजी -ख़ुशी बस्यां छीन |
हालांकि अभी पुंडीर रावत और पुंडीर नेगी गढ़वाल मा कख कख बस्यां छें मी ठीक से नि बोल सकदु पर मेरी जानकारी का हिसाब से चौन्दकोट पट्टी का रिटेल गौं मा पुंडीर रावत बस्यां छी| जू क्वाला (बौन्द्र ) से रिटेल मा आकी बसीं उन् पौड़ी मा पुड्यर गौं मा भी पुंडीर राजपूत बस्यां छी और मेरी जानकारी से पुड्यर नाम पुंडीर जाति का कारण से ही प्वाडू होलू |
मी थेय उम्मीद च की ऐय का अलावा भी गढ़वाल या कुमौं मा पुंडीर राजपूत बस्यां व्हाला पर मेरी जानकारी अभी ऐय मामला माँ एत्गा तक ही सिमित चा और सायेद कुछ समय बाद ऐय बार मा मी अधिक जानकारी आप लोगौं दगड बाँट सकूँ |
आज भी सहारनपुर का निकटवर्ती क्षेत्र मा पुंडीर राजपूत ,सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक रूप से सक्रिय छी |ये का अलावा रायल गढ़वाल रायफल से लेकर कारगिल युद्ध मा भी गढ़वाल और सहारनपुर क्षेत्र का पुंडीर राजपूत समय-समय समय फर अप्डू इतिहास दोहराणा रैं |
आखिरी मा मी ऐय निष्कर्ष फर औं और मान सकदु क़ी पुंडीर नेगी और पुंडीर रावत मूल रूप से सहारनपुर का ही पुंडीर राजपूत छी जौं कु विस्तार तेलंग प्रदेश से लेकर राजस्थान,पंजाब ,हरियाणा ,दोआब क्षेत्र सहारनपुर और देहरादून राहि |
* उपरोक्त जानकारी थेय केवल आदान प्रदान मा प्रयोग का वास्ता लिये जाव,जू मिल विषय मा रूचि का कारण विगत कुछ वर्षो मा सहारनपुर ,मनहर -खेडा ,जस्मोर, बेहट ,छुट-मलपुर ,सरसावा व नानोता क्षेत्र का अपणा दोस्तों व कुरुँक्षेत्र मा अपडा छात्र काल मा पूंडरी ,अम्बाला ,कैथल ,थानेसर ,करनाल,समाना आदि स्थानों का भ्रमण व सहारनपुर मा अनेक बार माता शाकुम्बरी का दर्शन से विभिन्न लोगो से जुटाई |ऐतिहासिक विवरण अध्यन का विभिन्न माध्यमों(अखबार,पत्रिका,और अन्य ) से छें |उपरोक्त जानकारी कक्खी मा या बहुत सी जगहों मा गलत भी व्हेय सकद पर साथ मा मी आपसे आशा भी करदू की इंयी दिशा मा आपकू ज्ञान और सहयोग सायेद हम सबही थेय पुंडीर रावतोउन और पुंडीर नेगी जाति का लघु इतिहास की इंयी श्रंखला थेय एथिर बढाना मा सहयोग कार |
bahut acchha bhaiji meete ta in laganu chau ki aajkal ka hum yuva varg apana itihaas ki khoj ni karana chan. par aapte me sach ma bhaiji salam karudu
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ReplyDeleteहुकुम क्या आप रांगड़ राजपूतों के बारे में बता सकते हे
DeleteI think no one know about kshatriya.
ReplyDeleteई जरूरी जानकारी खातिर आपको बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDelete::::::सुमित पुण्डीर
ई जरूरी जानकारी खातिर आपको बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDelete::::::सुमित पुण्डीर
Kya ye Panjabi cast me aata h pundir Rawat please rply
Deleteई जरूरी जानकारी खातिर आपको बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDelete::::::सुमित पुण्डीर
पुंडीर राजपूतों का बारा मा भोत अच्छी जानकारी दीनी। बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार। औऱ बि गढ़वाली राजपूतों कक बारा मा इनी ज्ञानवर्धक जानकारी देना राया।
ReplyDeleteचमोली जनपद मा भी भोत गांव पुंडीर लोगों कक छन।।
**** कुलदीप सिंह पुण्डीर **((
धन्यवाद भाई साहब बहुत सुंदर जानकारी आपके द्वारा क्या जिया रानी मौला देई जिनका विवाह कैत्युरी राजा प्रीतम देव के साथ हुआ पुंडीर राजपूतों की बहन थी
ReplyDeletePlz contct me +91-9728008434 +919996949270
ReplyDeleteHm bhi pundeer bhandari h....
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