छेन्द स्वयंबर का निर्भगी राखी
बिचरी येखुली रह ग्याई
तमशु देखणा की "लाइव " चुप-चाप
हम्थेय भी अब सैद आदत व्हेय ग्याई
भाग तडतूडू छाई कन्नू बल कसाब कु ,
वू भी अब अतिथि देव व्हेय ग्याई
लोकतंत्र की हुन्णी चा रोज यख हत्या ,
इन्साफ अध रस्ता म़ा बल अध्-मोरू व्हेय ग्याई
कॉमन- वेल्थ का छीं आदर्श भ्रष्ट ,
सरकार बल राजा की गुलाम व्हेय ग्याई
मन छाई घंगतोल म़ा की क्या जी करूँ " गीत ",
तबरी अचाणचक से बल शीला ज्वाँन व्हेय ग्याई
घोटालूँ कु २०१० सुरुक सुरुक मुख छुपे की ,
अंतिम सांस लींण ही वलु छाई,
की तबरी विक्की बाबू की हवा लीक व्हेय ग्याई ,
" गीत "आँखों म़ा देखि की अस्धरा लोगों का ,
अब कुछ और ना सोची भुल्ला ?
२०१० कु निर्भगी प्याज जांद जांद युन्थेय भी आखिर रूवे ग्याई
२०१० कु निर्भगी प्याज जांद जांद युन्थेय भी आखिर रूवे ग्याई
रचनाकार : गीतेश सिंह नेगी ( सिंगापूर प्रवास से ,सर्वाधिकार सुरक्षित )
बिचरी येखुली रह ग्याई
तमशु देखणा की "लाइव " चुप-चाप
हम्थेय भी अब सैद आदत व्हेय ग्याई
भाग तडतूडू छाई कन्नू बल कसाब कु ,
वू भी अब अतिथि देव व्हेय ग्याई
लोकतंत्र की हुन्णी चा रोज यख हत्या ,
इन्साफ अध रस्ता म़ा बल अध्-मोरू व्हेय ग्याई
कॉमन- वेल्थ का छीं आदर्श भ्रष्ट ,
सरकार बल राजा की गुलाम व्हेय ग्याई
मन छाई घंगतोल म़ा की क्या जी करूँ " गीत ",
तबरी अचाणचक से बल शीला ज्वाँन व्हेय ग्याई
घोटालूँ कु २०१० सुरुक सुरुक मुख छुपे की ,
अंतिम सांस लींण ही वलु छाई,
की तबरी विक्की बाबू की हवा लीक व्हेय ग्याई ,
" गीत "आँखों म़ा देखि की अस्धरा लोगों का ,
अब कुछ और ना सोची भुल्ला ?
२०१० कु निर्भगी प्याज जांद जांद युन्थेय भी आखिर रूवे ग्याई
२०१० कु निर्भगी प्याज जांद जांद युन्थेय भी आखिर रूवे ग्याई
रचनाकार : गीतेश सिंह नेगी ( सिंगापूर प्रवास से ,सर्वाधिकार सुरक्षित )