विश्व प्रसिद्ध कवियों की कविताओं का गढ़वाली भाषा अनुवाद श्रृंखला
गोरख पाण्डेय की कविता का गढ़वाली भाषा अनुवाद
तुम्थेय डैर च
हज़ार बरस पुरणु च वूंकू गुस्सा
हज़ार बरस पुरणी च वूंकि नफ़रात
मी त बस
वूंका खत्याँ शब्दोँ थेय
ढौल अर तुक मा रलै की लौटाणु छौं
पर तुम्थेय डैर च कि
आग भड़काणू छौं
अनुवादक : गीतेश सिंह नेगी
गोरख पाण्डेय की कविता का गढ़वाली भाषा अनुवाद
तुम्थेय डैर च
हज़ार बरस पुरणु च वूंकू गुस्सा
हज़ार बरस पुरणी च वूंकि नफ़रात
मी त बस
वूंका खत्याँ शब्दोँ थेय
ढौल अर तुक मा रलै की लौटाणु छौं
पर तुम्थेय डैर च कि
आग भड़काणू छौं
अनुवादक : गीतेश सिंह नेगी
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