हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Saturday, April 11, 2015

विश्व प्रसिद्ध कवियों की कविताओं का गढ़वाली भाषा अनुवाद श्रृंखला : गोरख पाण्डेय

विश्व प्रसिद्ध कवियों की कविताओं का गढ़वाली भाषा अनुवाद श्रृंखला
 गोरख पाण्डेय की कविता का गढ़वाली भाषा अनुवाद

 
           तुम्थेय डैर च

हज़ार बरस  पुरणु  च वूंकू  गुस्सा 
हज़ार बरस पुरणी च वूंकि नफ़रात 
 मी त बस 
वूंका खत्याँ शब्दोँ थेय 
ढौल अर तुक  मा रलै की  लौटाणु छौं 
पर तुम्थेय डैर च  कि 
आग भड़काणू छौं 

अनुवादक : गीतेश सिंह नेगी   

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