हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Thursday, April 9, 2015

विश्व प्रसिद्ध कवियों की कविताओं का गढ़वाली भाषा अनुवाद श्रृंखला : कतील शफ़ाई (2)

               
विश्व प्रसिद्ध कवियों की कविताओं का गढ़वाली भाषा अनुवाद श्रृंखला

" कतील शफ़ाई " की शायरी का गढ़वाली भाषा अनुवाद
अनुवादक : गीतेश सिंह नेगी

                  हे भगवान

दर्दल भोर दे  मेरि  खुचली  हे भगवान
फिर चाहे मिथेय बौल्या बणा दे हे भगवान 

मिल कब्ब मंगिन त्वे  मा चाँद तारा
साफ़ दिल खुला आँखा दे हे भगवान 


सुर्ज सी एक चीज त देखि याल   हमुल 
अच्छेकि अब कुई  सुबेर दे  हे भगवान 

यत धरती का जख्मोँ फर धैर  दे मलहम 

या म्यारु दिल ढुंगु कै दे हे भगवान 

 अनुवादक : गीतेश सिंह नेगी      

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