घपरोल
(चबोड़्या -चखन्यौर्या -गीतेश सिंह नेगी ,मुम्बई )
देश मा जक्ख द्याखा तक्ख घपरोल मच्युं च ,संसद से लेकि सड़क तक गौं से लेकि बजार तलक घपरोल ही घपरोल ,घपरौल्यूं मा बिलकुल बी टैम नी च सब व्यस्त हूँया छीं ,सच बोले जाव ता अज्काल घपरोल्या फुल डिमांड मा चलणा छीं ,ग्राम सभा से लेकि संसद तलक हर कुई अफ्फु थेय भगवानै तीसरी टांग साबित कन्न् फर मिस्युं च ,कुल मिलैकी हर कुई अफ्फु थेय बडू घपरौल्या साबित करण फर लग्युं च और त और आम आदिम जू ब्याली तक घपरोल से परेशान रैंदु छाई आज वी सबसे बडू घपरोल्या बणणै कोशिश कन्नू च |
परसी हमर अडगै मा बी दाना स्याणा लोग घपरोल फर चर्चा कन्ना छाई ,हमर प्रमुख ब्वाडा चर्चा मा भारी सोच मा मुंड पकडिक बैठयाँ छाई |
प्रमुख ब्वाडा : भै बन्धो ,सरया मुल्क मा घपरोल मच्युं च ,सब्बि अपडा अपडा मुल्कै मुद्दौं- मस्लौं -समस्यौं फर घपरोल कन्ना छीं ,विकासै बान एक जुट व्हेकि धै लगाणा छीं ,इन्मा हम्थेय बी एकजुट हूँण चैंन्द ,आखिर हमरा क्षेत्रा विकासै बात च ,हम्थेय बी घपरोल करण प्वाडलू तब्बी हमरी माँग हमरी डिमांड पुरै साकलि |
मिल ब्वाल ब्वाडा यांमा परेशानी क्या मा च ,सब्बि कन्ना छीं ,तुम बी कैरा ,उन्न बी घपरोल कन्नू ता हमरू जलमसिद्ध अधिकार च ,उन्न बी यै काम मा त हम्थेय महारत हासिल च ,सोचणा क्या छौ ?
प्रमुख ब्वाडा : बेट्टा समस्या भोत भारी च ,पैल्ली समस्या त याच्कि "आखिर कन्नू कै करै जाव घपरोल " अर दूसरी घनघोर समस्या याच्कि आखिर घपरौल्या कू व्हा ? मतलब कि बिरोला गौलिन्द घांडू कू जी बांधलू ?
ब्वाडा यामा समस्या क्या च ? हमर क्षेत्र मा एक से एक घपरौल्या पोडयाँ छीं ,पूछा उन्थेय ,ल्यावा उन्की राय कि "आखिर कन्नू कै करै जाव घपरोल " ,आप एक काम कैरा ,सरया मुल्कै घपरौल्यूं थेय न्युतां अर एक "घपरौल्या सम्मेलन " उर्यावा ,वेमा " आखिर कन्नू कै करै जाव घपरोल " फर चर्चा कारा ,ब्वाडा याँल अगर आप्की समस्यौ सेंट परसेंट समाधान नी व्हालू त बोल्याँ
पढ़याँ लिख्याँ आदिमौ बात अनपढ़ आदिम झट्ट से मनद ,ब्वाडा झट्ट से "घपरौल्या सम्मेलन " का न्यूत -निमंत्रण सब्बि गौं -पंचेतौं मा पहुंचे दयाई कि भैरों क्षेत्रा विकासौ बान आज घपरोल कन्नू जरूरी चा ,किल्लैकि आप क्षेत्रा जण्या मण्या घपरौल्या छौ ,हम आपसे सगत घपरोलै आस करदो |
अब साब दिन बारै हिसाबळ सब्बि घपरौल्या " घपरौल्या सम्मेलन " मा पहुँची ग्यीं |
प्रमुख ब्वाडा :भै बंधो आज भोत खुशी कि बात चा कि इलाका का सब्बि घपरौल्या विकासै बान एक हूँया छीं ,मी घपरौल्या सम्मेलन कि शुरवात क्षेत्रा जणया मणया सामाजिक घपरौल्या आदरणीय चैत सिंह जीक परिचय दगड कन्नू छौं,आप सब्बि जणदा ही छौ की आज से बीस साल पैल्ली जब यूंक इलाका मा सडक आणि छाई ता यून्ल सड़क कू भारी विरोध कार अर सड़क थेय अपडा बाँझा पुन्गडों थेय कुर्चिक नी जाण दयाई ,यी सड़क विरोध मा बीस साल तक घपरोल कन्ना रैं ,यून्ल कब्बि सब्ला लुछिं त कब्बि गैंती -कुटला यक्ख तक की यून्ल डूटीयलौं थेय ढुंगीयाँण मा बी कुई कसर नी छ्वाडी ,सड़क आज बी युंका बाँझा पुन्गडों अर जंगलाता बीच ऐडाट कन्नी च ,लोग आज बी युंका भ्वार उकाल कटणा कू मजबूर छीं | हम्थेय फक्र च कि इन्ना कर्मठ घपरौल्या हमर इलाका मा छीं |
चैत सिंह जी :भै- बंधो जन्कि आप जणदा ही छौ ,पलायन आज उत्तराखण्ड मा एक सगत समस्या च ,आखिर किल्लैय हुणु च यू पलायन ? म्यार हिसाबळ यू सब सड़कौं वजह से हुणु च जब सड़क ही नी रैल्ली ता कक्ख भटेय हूँण पलायन ,आवा हम सब मिलिक सडक निर्माण योजनौं विरोध करला ,याँळ पलायन बी कम व्हालू ,भ्रष्टाचार बी कम व्हालू अर हमरी खेती-पाती बी बचीं राली |
प्रमुख ब्वाडा :भै जब बात घपरोल्यूँ हूणी च ता इन्मा हम राजनीतिक घपरौल्यूँ थेय कन्नू कै बिसिरी सक्दो ,अब उत्तराखण्ड आंदोलन ता आप सब्युं थेय याद ही व्हालू ,जब सरया उत्तराखण्ड "गैरसैण -गैरसैण" ब्वन्नु छाई ता हमर यूँ राजनितिक घपरौल्यूँळ " देहरादूण -देहरादूण " बोलिक घपरोल शुरू कैर दयाई , पिछला तेरह बरसूँ भटेय "गैरसैण " फर देहरादूण कू ग्रहण युंका भ्वार ही लग्युं च ,यू हमर दिल्ली दरबार थेय एकदम समर्पित इन्ना कर्मठ राजनीतिक घपरौल्यूँ कि ही मेहरबानी च कि आज पुठ्या जोर लगैकि बी कुई मर्द कू बच्चा "गैरसैण " थेय राजधानी घोषित नी करा सक्णु च , मी क्षेत्रा जणया मणया राजनीतिक घपरोलया नेता श्री "खबेश जी " से हत्थ जोडिक बिनती करदू कि अपडा घपरोल्या बिचारौंळ घपरौल्या सम्मेलन थेय सुफल कन्ना कष्ट करयां
खबेश जी : भै-बंधो अब जब्कि हमर सब्बि नेता दिल्ली दरबार मा लम्सटट् हूँया रैंदी ,वक्खी घ्यू धुपणु कन्ना रैंदी ,अर जब्कि कैका पुठ्या जोर लगाण से बी "गैरसैण " २०१४ का चुनावी घोषणापत्र तक मा शामिल नी वे सक्णु च ता इन्मा म्यार ख्याल से गैरसैण-गैरसैण बोलण से कुई फैदा नी च ,म्यार हिसाबळ राजधानी उत्तराखण्ड राज्यौ बीच मा ही हूँण चैन्द इल्लैय मी आप सब्यु थेय "उत्तराखण्ड नवनिर्माण आंदोलन " मा भागीदारी क वास्ता न्यूतणु छौं जैमा हम दिल्ली -गाजियाबाद -मेरठ -सहारनपुर -यमुनानगर थेय उत्तराखण्ड मा मिलाणाकी माँग कन्ना छौ ताकि राजधानी उत्तराखण्डा बीचो-बीच यानी देहरादूण मा ही रौ ,ता आवा उत्तराखण्ड नवनिर्माण खुण एकजुट व्हेकि घपरोल करला
प्रमुख ब्वाडा :भै -बंधो भाषा अर साहित्य समाजौ ऐना हुंद ,या घपरौल्या सम्मेलन खुण बड़ी खुशी बात चकि भाषा साहित्या क्षेत्रा बड़ा घपरौल्या श्री भाषू उदास जी आज हमर बीच मा छी जू सदनी भाषा भाषा भाषा कैरिक ऐडाट कन्ना रैंदी पर अफ्फु कब्बि गढ़वली कुमौनी मा नी बच्ल्यांदा ,यी इत्गा बडा घपरौल्या छीं कि यी पिछला बीस बरसूँ भटेय सरया मुल्क मा भाषा बचावो आंदोलन चलाणा छीं वा बात हैंकि च खुद युंका घार परिवार मा कुई गढवली मा नी बचल्यांदु ,युंका नौनी -नौना गढ़वली कुमौनी लोक साहित्य देखिक दूर भटेय ही जल्की जन्दी ,यूंकि सौं घैंटी छीं कि बल यून्ल गढ़वली-कुमौनी भाषाक नै नै लिपि तयार कन्नी,उत्तराखण्ड मा उर्दू-पंजाबी भाषा अकादमी कि बिज्वाड युंका घपरोल्यापन्न कू ही निब्त लग्णी चा ,युंका घपरौल्या मिजाज देखिक आज गढ़वली का आदि कव्युं ,साहित्यकारौं ,लिख्वारौं आत्मा रुणाट -बब्लाट कन्नी चा ,त स्वागत कारा भाषा साहित्यौ बडा घपरौल्या श्री भाषू उदास जीकू
भाषू उदास जी : भै बंधो गढ़वली भाषा आज अनाथ सी हुंई चा ,लाख कोशिस कन्ना बाद बी आज तलक गढ कुमौनी भाषा अर साहित्य थेय उत्गा सम्मान नी मिलु जत्गा अर ज्यांका वू हक्कदार छीं अर गढ़वली -कुमौनी भाषा कबियुं-साहित्यकारौं -लिख्वारौं देखिक मी आज कलकली लगद ,बिचरा अफ्फी लेख्णा अफ्फी छ्पौणा अर अफ्फी पढना बी छीं ,आठवी अनुसूची अर राजभाषा ता दूर हम अज्जी तलक अपडा घार मा ही गढ़वली कुमौन दगड न्यो निसाफ नी कन्ना छौ ,अपडा ही घार मा हमरी भाषा मौस्याण ब्वे कि औलाद जन्न् पीड़ा भोगणी च नथिर सरकार क्या भाषा आकादमी नी बणा सकदी उर्दू -पंजबीक जन्न् | म्यार ख्याल से यांमा लिपि दोष च ,देवनागरी लिपि से अलग एक नै लिपि निर्माण कि सकत जरुरत चा ,आवा एकजुट व्हेकि "गढ़वली भाषा लिपि निर्माण " वास्ता घपरोल करला
येक बाद सांस्कृतिक घपरौल्या श्री संस्कृति प्रसाद जील अपडा घपरौल्या बिचार रक्खीं
संस्कृति प्रसाद जी : भै बंधो हमरी सांस्कृतिक धरोहर हमरी विरासत खत्म हूँण वली च ,उन्न बी अज्काळ हर संस्था सांस्कृतिक विरासत थेय केवल मंच तलक ही रखण चाणी च , वीं सांस्कृतिक विरासत फर असल जीवन मा कुई अंग्वाल नी ब्वटणु , इन्मा मी संस्कृति का कर्ता-धर्ता अर योजना बणाण वलूं से या उम्मीद करदू कि वू सिर्फ उत्तराखण्डौ तीज त्युहार ,लोकनृत्य -लोकगीत संगीत तलक अफ्फु थेय ना रख्याँ अर सांस्कृतिक कार्यकर्मो मा दुस्सरै संस्कृति कू जरूर सम्मान करयां चाहे अप्डी संस्कृति कू कत्गा बी अपमान- निरादर- बेज्जती किल्लैय ना व्हेय जाव ,यांक वास्ता एक संस्कृति सम्मान कि शुरवात हूँण चैन्द जैमा सिर्फ दुस्सर परदेशों क कलाकारौं -संस्कृतिकर्मियौं थेय सम्मानित करे जालू ,उन्का वास्ता " उत्तराखण्ड सांस्कृतिक विकास पेंशन योजना " लागू हूँण चैंन्द ,इल्लैय आपसे बिनिती च कि आवा सब मिलिक "सांस्कृतिक विकास आन्दोलन " बान घपरोल कैरा
सुबेर से लैकी ब्याखुंनदा तलक किस्म किस्मौ घपरौल्या मंच फर अयें अर अपडा अपडा हिसाबळ घपरोल कन्ना कि सलाह दिणा रें ,फिर यीं बात फर ही घपरोल शुरू व्हेय ग्याई कि आखिर कैक मुद्दा फर घपरोल करे जाव |
आखिर मा दुस्सर मसलौं जन्न् यू मसला बी सरकार फर छोड़े ग्याई अर यू तय व्हाई कि सब्बि घपरौल्युंक एक शिष्टमंडल उत्तराखण्ड सरकार अर मुख्यमंत्री दगडी भेंट कैरिक " उत्तराखण्ड घपरौल्या सम्मान " शुरू कराला ,अर २०१४ चुनौ मा क्षेत्रा कू पैल्लू एजेंडा " घपरोल श्री सम्मान " पाणु व्हालू, जे श्रेष्ठ घपरौल्या थेय यू सम्मान मिललू वेका हिसाबळ फिर बाकी सब्बि घपरौल्या एकजुट व्हेकि घपरोल कारला |
ये सौं- संकल्प दगडी घपरौल्या सम्मेलन खत्म व्हेय ग्याई |
२०१४ का चुनौ आण वला छीं ,सब्बि घपरौल्या अपडा अपडा दल बल दगडी झण्डा -डंडा लेकि अपडा अपडा घपरोल खुण जुगाड -तज्जबीज करण फर लग्यां छीं आखिर " घपरोल श्री सम्मान " त सब्युं थेय चैंन्द ना |
मिल ब्वाल भैज्जी क्या व्हालू ? इनमा कन्नुकै आण बसन्त ?
बल भुल्ला कैकू गैरसैण कैकी भाषा कैकू विकास अर कैकू रुजगार ?
ता अब क्या कन्न् ?
जग्वाल कारा ?
क्यांकि जग्वाल ?
नै नै घपरोलै जग्वाल
कुछ मैंना बाद मिल मुम्बे मा रंत रैबार ,उत्तराखण्ड खबर सार ,निराला उत्तराखण्ड अर शैलवाणी सब्बि अख्बारौं मा या खबर बांच
"चैत सिंह ,भाषू-उदास अर संस्कृति प्रसाद थेय दगडी मिललू २०१४ कू पैल्लू " घपरोल श्री सम्मान "
तबरी प्रमुख ब्वाडौ फोन आ ग्याई - बल यार सरया इलाका मा घपरोल ही घपरोल मच्युं च पर अब घपरोल यीं बात फर हूँणु चकि असल घपरौल्या कू जी च ?
मिल ब्वाल त कु च असल घपरौल्या ?
साला " खबेश कु बच्चा " इत्गा मा फोन कटे ग्याई
सैद ब्वाडा यक्ख नै वल्लु घपरोल शुरू व्हेय ग्याई जणि
Copyright@ Geetesh Singh Negi ,Mumbai 2/03/2014
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- महर गाँव निवासी द्वारा जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; कोलागाड वाले द्वारा पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मल्ला सलाण वाले द्वारा भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; पोखड़ा -थैलीसैण वाले द्वारा धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी द्वारा पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य ....... श्रृंखला जारी ]
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