हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Sunday, March 2, 2014

गढ़वाली हास्य व्यंग लेख : घंग्तोल




                              
                                       घंग्तोल
                              
                                      (चबोड़्या -चखन्यौर्या -गीतेश सिंह नेगी )

हमरू प्रमुख ब्वाडा अज्काल भारी घंग्तोलम् च | प्रमुख ब्वाडा अप्डी सरया जिंदगी विकास खूणी खैर खाणा रैं | ब्वाडा अर विकासौ दगडू बी कन्नू तब्बा जन्न किन्गोडा अर कांडा कू ,जन्न गौडी अर घासकू या फिर जन्नू बखरौं अर बाघौ |
मतलब ? नी बिंन्गा ,ढ़ंग से  बिंन्गावा ?
अरे दिदा मतलब कु ही  त सरया खेल च,सूणीयूँ  नि च

 ना कुई तेरु ना कुई मेरु ,मतलब कु खेल चा
काण्डा लग्गा ईं दुन्याँ मा सब टक्कौं कू खेल चा

अरे दिदा मतलब बिलकुल साफ़ च जक्ख किन्गोडा पकला वक्ख कांडा भी त लगला ,जै गौं गौर व्हाला वक्ख उज्याड़ बी ख्येली ना ,अरे भै जक्ख बखरा व्हाला  बाघ बी ता वक्खी लगलू ना
ब्वाडा सरया जिंदगी विकासौ नौ फर काम कन्नू राई पर विकास कन्नू अर  कैकु व्हाई या बात ता सब्बी जणदी ना |डिग्गी से लैकी इस्कूल ,चक्कडाम से लैकी सड़क , गौं से बिलोक तक ब्वाडा सब कुछ खै ग्याई पर ब्वाडा च की अज्जी बी मनणु नि च
ब्याली सुबेर लेकि बम्बे मा झबरू दा खुण ब्वाडा कू फोन आ ग्याई

झबरू दा : ब्वाडा नमस्कार ,सब राजी खुशी
ब्वाडा : नमस्कार बेट्टा ,सब राजी खुशी लक्ष्मी की कृपा से
झबरू दा : और क्या झर्र फर्र हूणी च ब्वाडा अज्काल
ब्वाडा : बस ब्बा ,कुछ खास ना पर छुच्चा या अज्काल मी भारी घंग्तोल मा पोडयूँ छौं
झबरू दा: क्या बात ब्वाडा ?
ब्वाडा : क्या बताण बेट्टा ,समस्या भारी च ,त्वी कुछ उपाय बता दी ?
झबरू दा:     पर ब्वाडा बात क्या व्हाई ,इन्न त बतादी ?
ब्वाडा : बेट्टा बिलोक से भैर मेरी कुई पूछ जाच नि च ,मिथेय दिल्ली -देरादूण मा कुई नि जणदू ,कुछ इन्न तरीका बतादी की सरया दुन्या मा मेरी हाम फ़ैल जाव ,मी फेमस व्हेय जौं
झबरू दा: ब्वाडा ईं उमर मा फेमस व्हेक्की क्या कन्ना तिल अब ?
ब्वाडा : यार बेट्टा ,ठट्टा नि कैर ,मी भोत सिरयस छौं
झबरू दा : ब्वाडा तू भल्ला भल्ला काम कैर ,लोगौं सेवा कैर , जै गौं सड़क नि वक्ख सड़क पहुंचा ,जक्ख पाणी नि वक्ख पाणी पैटादी ,जक्ख इस्कोल नि वक्ख इस्कोल खोल ,या फिर इन्न कारा की अपडा बिलोक मा एक बडू अस्पताल बणवावा ,आप्थेय त पता ही च ना की पौड़ी मा अस्पताल कत्गा खस्ता हाल मा छीं ,फिर देख सरया मुल्क मा तेरी हाम नी होलि त बोली
ब्वाडा : ना यार तू सम्झणु नि छै ,मिल काम थोड़ी माँग ,मी त बस चम्म फेमस हूँण चाणू छौं अर फेमस बी राष्ट्रीय स्तर फर ,सम्झिगे ना
झबरू दा: पर ब्वाडा तिल  फेमस व्हेय की कन्नू क्या चा ?
ब्वाडा: यार मी विकास कन्न चाणू छौं
झबरू दा: ब्वाडा यत भोत अच्छी  बात च आप यीं उमर मा बी विकासै बात कन्ना छो ,सोचणा छो ,तुम इन्नु कैराकी  अपडा क्षेत्र मा पेयजल या सिचाई योजना बणावा ,बांजी पुंगडीयूँ स्यारियुं मा पाणी पहुंचलू ता लोग तुम थेय माधो सिंह भंडारी जन्न् याद कराला
ब्वाडा : अब्बे यार तू लाटू छई क्या ? मी अपडा विकासै बात कन्नू छौं न की अपडा गौं- मुल्कै विकासै ,उन्न बी गौं- मुल्कै विकास त हम साखियुं भटेय करण ही लग्यां छौं ,हाँ वा बात हैंकि च की काम कागजौं मा हूँणु च पर छुच्चा कुछ त हूँणु च ना ,अरे यार तुम प्रवासीयूँ सोच भी हट्ट रे मक्खी जक्खा तक्खी जन्नी च ,अरे भै तुम लोग या बात आखिर कब्ब सम्झिला की पहाड़  अब वू पहाड़ नी रै ग्याई जन्नू तुम छोडिक आई छाई ,यक्ख गौं मा मनखी नी छीं अर तुम सलाह दिणा छौ सिचाई अर पेयजल योजना की
झबरू दा: ब्वाडा आप इन्न कारा की कुलदेवी कू देब्तौल कारा ,ये बाना से सब्बी भै बन्ध गौं मा आला अर आप्क नौ हाम भी व्हेय जाली दिल्ली-बम्बे मा
ब्वाडा : यार झबरू तू बी ना बस ,यक्ख लोग एक दूसरै शक्ल देखणा कू राजी नी छीं ,लोगौं मा कैका सुख दुःख का बान बगत नी च अर तू बुनू  छई की देब्तौल कारा ,यक्ख आदिम ही मढक्याँ छीं तू देब्तौं बात कन्नी छई ,बेट्टा यक्ख देब्तौं थेय पूजण से पैल्ली मन्खीयूँ थेय पूजूंण प्वाडालू ,ना भै ना मी से त नी हूँणा ईं उमर मा यी खट्टा करम
झबरू दा : ओह्ह ! ता ब्वाडा आप इन्न कारा की फेसबूक या ट्वीटर मा अैकी सुबेर शाम उत्तराखण्डौं नाम फर  टीवीटयाट् कारा या फिर अप्डी मुखडी दिखावा ,सुद्दी -मुद्दी चर्चा बहस कारा जन्की पहाड बचावा -पहाड़ बचावा ,या फिर गढ़वाली भाषा थेय मोरंण से बचावा या फिर पहाडै संस्कृति नाम फर् सुद्दी -मुद्दी कू रुणाट कारा ,अज्काल ज्यदातर संस्था या बडा बडा नेता इन्नी त करणा छीं ,काम कम कारा अर दिखावा भन्डिया कारा ,फिर देखा तुम्हरी हाम दिल्ली -बम्बे तक नी फैलली त बोल्याँ

ब्वाडा : ना यार फेसबूक -ट्वीटर अर ई तरीका मीथेय नी जमदा अर फिर जू सब कन्ना छीं वेथेय कन्ना मा मज्जा  नी आन्दु ,उन्न भी इन्ना दुत्ता काम कन्ना मा समय अर रुपया दुया बर्बाद हुन्दी ,मीथेय तू कुछ झट्ट -फट्ट वल्लू उपाय बता यार
झबरू दा: हम्म ,ब्वाडा तू इन्न कैर बिग बॉस या फिर कै राखी सावंत टैपक रियल्टी शो मा आ जा ,फिर देख तेरी धूम देश विदेश मा नी  मची ,अर दिल्ली -बम्बे का कार्यक्रम मा तेरी डिमांड नी होलि त तू  म्यारू नौ बदली दे
ब्वाडा : ना यार मैमा इत्गा बगत नी च ,छूच्चा मेरी उमर कू ता ख्याल कैर ज़रा
झबरू दा : ओह्ह ! ब्वाडा फिर त तू एक बस काम कैर ,वे थेय कैरिक तू घडिम चट्ट चट्टाक से सरया दुनिया मा मशहूर व्हेय जैली ,ना रुपया पैसा कू खर्चा ,न बगता की अबेर अर नाम हाम भी सरया दुनिया मा ,फिर देख टी .वी . से लैकी अख्बारौं -खबरों मा ,जे कैक्की गिच्ची फर सरया दुनिया मा त्यारु ही नाम व्हालू
ब्वाडा : हाँ हाँ ,शाबास बेट्टा ,जल्दी बता क्या कन्न् ?
झबरू दा: ब्वाडा अज्काल चुनौ की बहार च ,इन्न कैर कै बडा राष्ट्रीय नेता थे खुज्या जू सबसे ज्यादा भ्रष्ट व्हा पर जैकी राष्ट्रीय राजनीती मा मजबूत पकड़ व्हा
ब्वाडा : अच्छा फिर क्या कन्न् ?
झबरू दा: वेकि प्रेस कॉन्फ्रेस  मा जाकी कै बी गंभीर राष्ट्रीय मसला जन्की भ्रष्टाचार फर सवाल कैर
ब्वाडा : अच्छा -अच्छा ,फिर वेका बाद क्या कन्न्
झबरू दा : फिर झट्ट से फुर्ती दिखैकी ,एक काम करी ,फिर देख क्या हुंद
ब्वाडा : बोल बोल जल्दी  बोल क्या कन्न् ?
झबरू दा: जूत्यौल कैरी वख्मा ही साला कू
इत्गा बोलिक झबरू दा ,गुस्सा मा फोन काटी दिन्द !


Copyright@ Geetesh Singh Negi ,Mumbai  2/2/2014




[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- महर गाँव निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; कोलागाड वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मल्ला सलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; पोखड़ा -थैलीसैण वाले द्वारा  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]  

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