बरसों पहले एक सुबह , वो रुस्वा होकर गया
साँझ तक लौट आता , तो उसका क्या चला जाता
नींद भी आती नहीं मुझको ,अब उसके ख्यालौं से
ख्याल इतना भी उसको आ जाता , तो उसका क्या चला जाता
वो दिल- ये -आईना हैं ,ऐसा लोग कहते हैं
मेरा चेहरा उसमे निखर आता, तो उनका क्या चला जाता
उनके इंतेजार में हमने ,यूँ तन्हा उम्र काटी है
एक लम्हा संग गुजर जाता , तो उनका क्या चला जाता
वो शख्स जो भरी महफिल में मुझको छोड़कर तन्हा
खामोश ही लौट आया था
वो हाल -ए -दिल बयाँ कर जाता ,तो उसका क्या चला जाता
वो हाल -ए -दिल बयाँ कर जाता ,तो उसका क्या चला जाता
वो हाल -ए -दिल बयाँ कर जाता ,तो उसका क्या चला जाता
very nice ..........
ReplyDeleteGod bless you my dear.....naturally talented creative and innovative....keep discovering your self and world too.....carry on your travel path
ReplyDeletewith lots of love,
JP Bhai