हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Thursday, May 13, 2010

" जज्बात "

" जज्बात "

लब्ज़ झूठे और जज्बात अधूरे लगते हैं ,
तेरी चाहत बिना अब सब ख्वाब अधूरे लगते हैं
अब भी ताकता हूँ टूटे दरवाजे की चोखट को मैं ,
बेशक दिन इंतजारी के लाचार कटते हैं
वो सजते भी हैं, और सवरतें भी हैं ,
और तेरा जिक्र भी करते हैं ऐ दिल-ऐ नादान
पर अफ़सोस ,पर अफ़सोस !
हाल ऐ दिल बयाँ "आईना " से करते हैं
सुना है अब वो लोग जलते हैं ,
जो कल तक तेरे रहनुमा थे "गीत "
तेरी खामोशियौं का जिक्र वो,
अब सरे बाज़ार करते है
तेरी खामोशियौं का जिक्र वो,
अब सरे बाज़ार करते है

BY : Geetesh Singh Negi

No comments:

Post a Comment