विश्व प्रसिद्ध कवियों की कविताओं का गढ़वाली भाषा अनुवाद श्रृंखला
अनुवादक : गीतेश सिंह नेगी ,मुम्बई
कौरव कौन, कौन पांडव / अटल बिहारी वाजपेयी
कौरव कौन
कौन पांडव,
टेढ़ा सवाल है|
दोनों ओर शकुनि
का फैला
कूटजाल है|
धर्मराज ने छोड़ी नहीं
जुए की लत है|
हर पंचायत में
पांचाली
अपमानित है|
बिना कृष्ण के
आज
महाभारत होना है,
कोई राजा बने,
रंक को तो रोना है|
कु कौरव ,कु पांडव
कु कौरव
कु पांडव
भारी सवाल च
द्वी छ्वाड शकुनी कु फैल्युं
कूट जाल च
धर्मराजळ छ्वाडी नी
अज्जी तलक लत जुआ कि
हर पंचेत मा पंचाली
हूँणी बेज्जत
बिगैर कृष्ण
आज व्हेली माभारत
क्वी राजा बणयाँ
रंकैऽ जोग ता बस लिखीं रुणी च |
अनुवादक : गीतेश सिंह नेगी ,मुंबई
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