हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Thursday, May 22, 2014

विश्व प्रसिद्ध कवियों की कविताओं का गढ़वाली भाषा अनुवाद श्रृंखला : कतील शफ़ाई (1)

विश्व प्रसिद्ध कवियों की कविताओं का गढ़वाली भाषा अनुवाद श्रृंखला
 " कतील शफ़ाई " को सादर समर्पित उनकी एक शायरी  का गढ़वाली भाषा अनुवाद
                    अनुवादक : गीतेश सिंह नेगी ,मुम्बई


मेहरबानी से अगर पेश बी अैंय कुछ लोग
घाम मा लिबटयूँ छैल सी  दे ग्यीं कुछ लोग

मिल अवाज उठै छाई रिवाजौंऽ खिलाफ
बरछा लैकी कूडौं भटेय भैर आ ग्यीं कुछ लोग

जब वू बच ग्यीं त पाणी मा बुगा ग्यीं मिथेय
मारिक फाल गद्नियूँ जू बचाई छाई मिल कुछ लोग

भौंणि का कम नी छाई मुल्क मा म्यारा बी लोग
फिर्बी भैर भटेय मन्गैं कुछ लोगौंल कुछ लोग


कत्गे बार दूबट्टौं मा ज्वनी का मिल "कतील "
ल्वे अप्डी ही पेकि नच्दा द्यखीं कुछ लोग

 
अनुवादक : गीतेश सिंह नेगी ,मुंबई


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