विश्व प्रसिद्ध कवियों की कविताओं का गढ़वाली भाषा अनुवाद श्रृंखला
" दुष्यंत कुमार " को सादर समर्पित उनकी एक कविता का गढ़वाली भाषा अनुवाद
अनुवादक : गीतेश सिंह नेगी ,मुम्बई
धर्म / दुष्यंत कुमार
तेज़ी से एक दर्द
मन में जागा
मैंने पी लिया,
छोटी सी एक ख़ुशी
अधरों में आई
मैंने उसको फैला दिया,
मुझको सन्तोष हुआ
और लगा –-
हर छोटे को
बड़ा करना धर्म है ।
अचाणचक्क एक दर्द
मन मा उठ
मिल पेय द्याई ,
छ्वट्टी सी एक खुशी
उठडीयूँ फर आई
मिल वीं थेय फ़ोळ द्याई
मिथेय संतोष मिल
अर लग --
हर छ्वट्टी धाण थेय
बडू कन्नू ही धर्म हूँन्द
अनुवादक : गीतेश सिंह नेगी