ख्वाब हूँ मैं ,
ख्यालात हूँ मैं
दिल मैं दफन हूँ सदियौं से जो
वो छलकता जज्बात हूँ मैं
दूर हूँ मैं , फिर भी दिलौं के आस पास हूँ
बिता हुआ लम्हा हूँ कल का ,
हूँ सुनहरे भविष्य की आस मैं
जानते हैं दुनिया मैं सभी मुझे ,
फिर भी छुपा हुआ एक राज हूँ मैं
अक्सर रहता हूँ जश्न - एय- महफ़िल में ,
पर हकीकत एक मुर्दा कब्रगाह हूँ मैं
है अन्धेरौं मैं आशियाना मेरा ,और लोग कहते हैं की आफताब हूँ मैं
ख्वाब हूँ मैं , ख्यालात हूँ मैं ....................
द्वारा स्वरचित :गीतेश सिंह नेगी
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