हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Sunday, January 24, 2021

भिखारी

 भिखारी


मि !
एक भिखारी सी
खडू छौं 
जिन्दग्यो दुबाटों मा
आज फिर 
घंगतोळ मा

लगै याल मिल
अपड़ि सर्या मेनत
सर्या तागत 
अपड़ि सर्या जमा पूंजी
हिटणा मा ये रस्ता फर 
जैमा नि मिळणु 
दूर तलक 
क्वी सूद-भेद बि 

 सर्या जिंदगी हिटणै बाद बि
 ईं अनंत जात्रा मा
 मि खडू छौं अब्बि बि
 शून्य परैं ही 
 एक भिखारी सी 
  
क्या भूल ह्वे व्होलि
कख व्हेय व्होलि चूक
इन्न लगद मि जन्न
हिटदु रौं सदानि 
उल्टैं छोड़
अफ़्फ़ु बटि ही दूर
भौत दूर


अब हिटण पोडलु 
अपण तर्फां ही
अन्धयरोंं मा बि
अगर भेटणु च अफ़्फ़ु तैं
वे उदंकार तैं
वे विराट ब्रह्म तैं
सब कुछ तैं

पर येका वास्ता 
कटण पोडला पैली
जाल वूंं जंजीरों का
जैमा बंधी रै
कश्ती जिन्दग्यी 
खड़ी समोदर छाल
अर मि चलाणु रौं
सुद्दी चप्पू
लाटू सी 
 

छोडिक पागलपन
विचारौं- सब्द वाणी को 
सधण पोडलु वे तैं 
जो च निसब्द 
लगाण पोडली समाधि अब 
वे मौन कि 
जो काटि देलु
भैर बटि 
अर जोड़ देलू 
भित्र  मितैं

फिर समणि मौतै बि
ह्वे जौलु मौन 
बणिक एक महायोगी 

जैमा च सब कुछ 
वू बि जैंतैं अब
नि लुछी सक्दि
यख तलक कि
 मौत बि 

©® गीतेश सिंह नेगी

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