हे परमेश्वरा !
मि देखणु छौं
सम्सूत घनघोर सर्द रातियूं मा
सडकै तीर जड्डल थथरौंद मनखि तैं
भूखल बिबलौंद एक मोरण्या शरील तैं
जु कुछ नि चांदू
हे परमेश्वरा !
त्वे से
सिवा एक गफ्फा का
मि देखणु छौं
घुण्डों सार
जिंदगी हिसोरद
वे नौना तैं
जैकी मुखडी परैं
बगतै खोट निशान
हे परमेश्वरा !
अब भारी पोड़ण बैठी ग्यीं
वेकि बालापन्नै हैंसी पर
मि देखणु छौं
वीं निर्भगी ज्वान छोरी तैं
ज्वा साखियूँ बटि दिणी
अग्निपरीक्षा दुन्या सामणि
दौ पर दौ खेले जाणा छन
जैंकि लाज परैं
अर बाच जैंकि
दबै जाणि
पौरुष अहम से
हे परमेश्वरा !
ये समाज का
मि देखणु छौं
वा आग
ज्वा भभरौणी
जिकुड़ा मा वेकि
जैतैं डमाणा रैं लोग
हे परमेश्वरा !
सदानि कमजोर समझिक
मुछ्यालोंन
मि देखणु छौं
फूल माला पैरद-पैरान्द
सम्मानित हूंद-करद
मनै वो चोर तैं
ज्यू अलझयूँ च
अज्यूँ तलक बि
मिथ्या फेर मा
हे परमेश्वरा !
मुण नक्क नकन्यैकि
मि देखणु छौं
आखिर साँस लेकि
छट्ट प्राण छोड़द
वे शाश्वत सच तैं
जैकी गौळी मिलजुलिक
दबै सदानि दुन्यै झूठन
हे परमेश्वरा !
तेरि सौं खै खैकि
मि देखणु छौं
आदिमैं साखियूँ खैरि
दुख अर पीडै पाड
अस्धरियूँ समोदर
हे परमेश्वरा !
चौतर्फ पसरयाँ
आसै रूखा रेगिस्तान मा
मि देखणु छौं
आँखि बुजिक
शान्तचित्त व्हेकि
अब अफ़्फ़ु तैं
हे परमेश्वरा !
चौतर्फ घनघोर
अन्ध्यरु व्हेगी
अब मैं कुछ नि दिखेंणु
मैं बि ना
सिर्फ दिखेंणु छै
चौछवडि अब
तू ही तू
हे परमेश्वरा !
- गीतेश सिंह नेगी
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