हेलंग
कटण वळौंन
क्य क्या नि काटि दुन्या मा
कैन डालि बोटि काटि
कैन सदनि मुण काटि
वेकी जु जरा सी उठी माथ
क्वी क्वी त पैली बटि उस्ताज रैं
सदनि कटणा मा हैंका जैड
कैकु जिन्दग्या् सफर कटै ग्याई
सदनि हैंका कटै मा
त कैन कन्न कन्ना दिन कटिन
कटिन कन्न कन्न उकाळ
ईं आश मा कि
कब्बि त खुलली या रात
कब्बि त व्होली सुबेर
कैन सर्या जिंदगी काटि मौज मा
ईं सुन्दर धर्ती तैं छलणी बणैकि
धैरिक डाम हैंका जिकुड़ी मा
यूँ डाँड़ियूँ- काँठीयूँ तैं खरमंड्या बणैकि
कै ग्यीं नीलाम लगैकि मवासी घाम
हे राम दा !
नि काट सकदि बल
अपडा ही पाड़
अपडा ही डाँडा बटि
अपडा ही हेलंग मा
एक पुल घास
त बस वा बिचरि
जैन सदनि काटि पाड़
दुःख अर खैरि को
अर जैंक काँधियूँ मा टिक्यूँ
अज्यूँ तलक बि मुण्ड उठैकि
खड़ो हुयूँ शान से
हमारो यो पाड़
© गीतेश नेगी
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