" किन्गोड़ाऽ बीज "
घैल पौडियूँ बुराँस कक्खी
सुध बुध मा नि चा फ्योंली भी
बौल्ये ग्यीं घुघूती भी देखा
फुर्र - फुर्र उडणी इन्हे फुन्हेय
छोड़ अपडा फथ्यला - घोलौं भी
लटुली फूली ग्यें ग्वीरालऽ
हुयुं लापता कफ्फू हिलांस
पकणा छीं बेडू भी बस
अब लाचारी मा बारामास
सूखी ग्यीं अस्धरा पन्देरौंऽक भी
सरग भी नि गगडाणू चा
लमडणा छीं भ्यालौं - भ्यालौं मा निर्भगी काफल
कुई किल्लेय हम थेय नि सम्लाणु चा
जम्म खम्म पौडयां छीं छन्छडा
धार हुईँ छीं लम्मसट
व्हेय ग्याई निराश कुलैंऽक भी बगतल
मुख लुकै ग्याई सौंण कुयेडी भी सट्ट
रूणाट हुयुं डांडीयूँ कांठीयूँ कू
ज्यूडी - दथुड़ी बोटीं अंग्वाल
छात भिटवौली पूछणा स्यारा - पुन्गड़ा
हे हैल -निसूडौं कन्न लग्ग फिट्गार
गैल ग्याई ह्यूं हिमवंतऽक
बस बोग्णी छीं आंखियुं अस्धार
अछलेंद अछलेंद बुथियांन्द वे थेय
द्याखा बुढेय ग्याई देब्ता घाम
हर्चिं ताल ढ़ोलऽक ,
बिसिग सागर दमौ महान
बौल मा छीं गीत माँगल - रासों -तांदी
समझा उन्थेय मोरयां समान
छोडियाल चखुलीयौंल भी अब बोलुणु
काफल पाको ! काफल पाको !
तब भटेय जब भटेय हे मनखी !
तील सीख द्यीं
अपडा ही गौं मा
बीज किन्गोड़ाऽ सोंगा सरपट चुलाणा
बीज किन्गोड़ाऽ सोंगा सरपट चुलाणा ..........
स्रोत : हिमालय की गोद से , सर्वाधिकार सुरक्षित (गीतेश सिंह नेगी )
घैल पौडियूँ बुराँस कक्खी
सुध बुध मा नि चा फ्योंली भी
बौल्ये ग्यीं घुघूती भी देखा
फुर्र - फुर्र उडणी इन्हे फुन्हेय
छोड़ अपडा फथ्यला - घोलौं भी
लटुली फूली ग्यें ग्वीरालऽ
हुयुं लापता कफ्फू हिलांस
पकणा छीं बेडू भी बस
अब लाचारी मा बारामास
सूखी ग्यीं अस्धरा पन्देरौंऽक भी
सरग भी नि गगडाणू चा
लमडणा छीं भ्यालौं - भ्यालौं मा निर्भगी काफल
कुई किल्लेय हम थेय नि सम्लाणु चा
जम्म खम्म पौडयां छीं छन्छडा
धार हुईँ छीं लम्मसट
व्हेय ग्याई निराश कुलैंऽक भी बगतल
मुख लुकै ग्याई सौंण कुयेडी भी सट्ट
रूणाट हुयुं डांडीयूँ कांठीयूँ कू
ज्यूडी - दथुड़ी बोटीं अंग्वाल
छात भिटवौली पूछणा स्यारा - पुन्गड़ा
हे हैल -निसूडौं कन्न लग्ग फिट्गार
गैल ग्याई ह्यूं हिमवंतऽक
बस बोग्णी छीं आंखियुं अस्धार
अछलेंद अछलेंद बुथियांन्द वे थेय
द्याखा बुढेय ग्याई देब्ता घाम
हर्चिं ताल ढ़ोलऽक ,
बिसिग सागर दमौ महान
बौल मा छीं गीत माँगल - रासों -तांदी
समझा उन्थेय मोरयां समान
छोडियाल चखुलीयौंल भी अब बोलुणु
काफल पाको ! काफल पाको !
तब भटेय जब भटेय हे मनखी !
तील सीख द्यीं
अपडा ही गौं मा
बीज किन्गोड़ाऽ सोंगा सरपट चुलाणा
बीज किन्गोड़ाऽ सोंगा सरपट चुलाणा ..........
स्रोत : हिमालय की गोद से , सर्वाधिकार सुरक्षित (गीतेश सिंह नेगी )
बहुत सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . आभार .
ReplyDeleteहम हिंदी चिट्ठाकार
प्रतिक्रिया हेतु आभार "नूतन " जी
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