हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Saturday, March 16, 2013

सखी री याद पिया की आये

                                       "सखी री याद पिया की आये "


सखी री याद पिया की आये 
सावन बिता  ,भादो बिता  
यौवन  बिता जाये
सखी री  याद पिया की आये

बैरन हो गई घडी मिलन की
पल पल युग  सा जाये
सखी री  याद पिया की आये

फूल खिले हैं आँगन उपवन
गीत पपीहा  गाये 
सखी री  याद पिया की आये

अंखिया बरसत  बादल सी अब
कौन इन्हे समझाए 
सखी री  याद पिया की आये

प्यासे  नैना पिया दर्शन  को
झर  झर झरत  ही  जाए
सखी री  याद पिया की आये

पिया बिन बेरंग मेरी होरी
मोहे रंग ना कोई भाये 
सखी री  याद पिया की आये

दीप जले हैं जगमग जग में
मोहे अँधियारा भाये
धूं धूं  करती जलूं विरह में
कोई राह  नज़र ना आये
सखी री  याद पिया की आये

मन के मन्दिर मूरत पिया की
जग रास ना मोहे आये
ध्यान धरुं में निश  दिन पिया का 
उन् बिन्न दिन ना  कोई  जाये 
सखी री  याद पिया की आये

रोग जटिल  है  दवा कठिन है
सखी कुछ तो कहो उपाय 
सखी री  याद पिया की आये

राह तक्कुं  में मारी विरहन की
नज़र पिया ना  आये
सखी री  याद पिया की आये







गीतकार  :गीतेश सिंह नेगी ,हिमालय हिमालय  की गोद से ,सर्वाधिकार सुरक्षित