हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Sunday, January 3, 2021

प्रीतम सतसई

 गढ़वाळि लोकसाहित्य मर्मज्ञ अर भाषा साहित्यै पछ्याण आदरणीय भैजी डा0 प्रीतम अपछ्याण जीक सद्य प्रकाशित पोथि  'प्रीतम सतसई'  (गढ़वाळि दोहा संग्रै) मिली।  डा0 प्रीतम अपछ्याण जी गढ़वाळि का जण्या मण्या साहित्य सेवक,साधक छन। चकोर ,उमर बुण्दि जा ,ध्वनियों के शिखर,मेरी रचना,गाँव के बयान अर प्रीतम सतसई भाषा साहित्य अर संस्कृति प्रेमियूं खुण आपै साहित्यिक साधनौ प्रसाद छन  ।

 

आपै गढ़वाळि कथा संग्रै, गढ़वाळि उपन्यास,गढ़वाळि गीत संग्रै, शोध प्रबंध जन्न कतगे हौरि ग्रंथ प्रकाशन की जग्वाळ मा छन। 


दोहा छंद भारतीय साहित्य परम्परा मा भौत खास, गागर मा सागर भोरणै सक्या रखण वळा अर तंत मनै जांदिन। सूर, कबीर,तुलसी आदि अर गढ़वाळि मा भजन सिंह 'सिंह' (सिंह सतसई) ,अबोधबन्धु बहुगुणा(तिड़का),कन्हैयालाल डंडरियाल (नागरजा भाग1,2,3,4 ),भगवती प्रसाद जोशी 'हिमवन्तवासी' जी (सीता बणवास) जन्न जण्या मण्या कवियों दगड़ि हौरि बि कवियोंन दोहा छंद मा लोकप्रिय रचना रंचीं।


उन्नीस विषयों परैं सुमरीं ,हिंदी भावानुवाद दगड़ि सात सौ तिरानब्बे दोहों से सजीं , हिमालय लोक साहित्य एवं संस्कृति विकास ट्रस्ट बटि प्रकाशित 180 पेज की  'प्रीतम सतसई' गढ़वाळि साहित्य प्रेमियूं वास्ता इलै बि खास च कि सतसई परम्परा मा या भग्यान भजन सिंह 'सिंह ' जीक ' सिंह सतसई' बाद दूसरी ऐतिहासिक सतसई च।  


उन्न त दोहा पढ़ण समझण मा सरल होन्दन  पर असल मा यो द्वी लैना चार चरणों मा कवि का जीवन दर्शन अर तजुर्बै पूँजी को सार होन्दन। 


कविता,गीत, गजल अर गद्य मा प्रीतम जीक सल्ल -सगोर अर लेख्वारि मिजाज से हम सब्बि भल्लि कै परिचित छौ । 

दोहा छंद मा बि प्रीतम जीक साधना गैरे को अन्ताज ,प्रत्यक्षम किम् प्रमाणम् ढंग से एक दोहा तैं देखिक ही उजागर व्हेय जांद :  


जीवन की ईं चक्कि मा, मिन पीसे दिन रात

ल्वे छौंकी की दाळ अर,आँसु उमाळी भात।


ईं  ऐतिहासिक सतसई मा प्रीतम जीक इन्ना इन्ना सात सौ तिरानब्बे दोहा रच्याँ छन । गढ़वाळि भाषा साहित्य प्रेमियूं वास्ता 'प्रीतम सतसई ' एक खास साहित्यिक धरोहर जन्न च। हिंदी भावानुवाद से पोथि हौरि बि असरदार बणि ग्याई।


  ईं पोथि तैं ग्वालदम कि हिवांली काँठीयूँ कि वीं पवेतर धर्ती बटि अरब सागर का ये छोर तापी का पावन छाल तक इतगा दूर मि तलक सप्रेम पहुंचाणा वास्ता मि आदरणीय प्रीतम अपछ्याण भैजी को  ह्रदय से आभार व्यक्त करदु अर माँ सरसुती अर माँ नंदा जीक इन्नी कृपा आप परैं सदानि बणि रौ ईं मंगलकामना प्रार्थना करदु। 


बाकी जल्द फैलास कैकि 

गीतेश सिंह नेगी

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